Panchen Lama In China: दलाई लामा के बाद बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े आध्यात्मिक गुरु पंचेन लामा कहा जाता है. जिनका वर्ष 1995 में चीन ने अपहरण कर लिया था. जब वो सिर्फ 6 वर्ष के थे. तभी से पंचेन लामा दुनिया के सबसे मशहूर..गायब हुए लोगों में से एक हैं. और उनका सिर्फ एक Photograph मौजूद है. पंचेन लामा का जन्मदिन है. 29 वर्षों से चीन की कैद में गुमनाम जिंदगी जी रहा ये बच्चा आज 35 वर्ष का हो गया है.


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हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बती बौद्ध..आज अपने दूसरे सबसे बड़े धर्मगुरु का जन्मदिन मना रहे है. और पंचेन लामा को चीन की कैद से आजाद करने की मांग कर रहे हैं..जबकि आजतक चीन ने ये तक नहीं बताया है कि वो जीवित भी हैं या नहीं. लेकिन चीन ने पंचेन लामा को अगवा क्यों किया ? इसके पीछे चीन की क्या साजिश है..इसे समझने के लिए आपको ये पता होना चाहिए कि पंचेन लामा कौन होते हैं ?


महान विद्वान... पंचेन लामा
पंचेन लामा शब्द संस्कृत के पंडिता से निकला है. जिसका मतलब होता है महान विद्वान. पंचेन लामा, बौद्ध मठों के सबसे प्रमुख होते हैं. बौद्ध धर्म के सबसे बड़े गुरु..दलाई लामा को ही दूसरे सबसे बड़े आध्यात्मिक गुरु यानी पंचेन लामा को चुनना होता है. और पंचेन लामा ही, लामाओँ की परिषद के प्रमुख होने के नाते अगले दलाई लामा को चुनते हैं. तिब्बती बौद्ध पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं. जब दूसरे सबसे महत्वपूर्ण तिब्बती बौद्ध नेता, पंचेन लामा की उन्नीस सौ नवासी में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई तो ये तय माना गया कि उनका पुनर्जन्म होगा.


14 मई 1995 को दलाई लामा ने घोषणा की कि पंचेन लामा की पहचान कर ली गई है.
-जो एक तिब्बती डॉक्टर और नर्स के बेटे थे.
- जिनका नाम गेदुन छुयाकी नीमा था.
- उनका जन्म 25 अप्रैल उन्नीस सौ नवासी को तिब्बत के लहारी जिले में हुआ था यानी उसी वर्ष जिस वर्ष पूर्व पंचेन लामा की मृत्यु हुई थी.


दलाई लामा के बाद सबसे शक्तिशाली..
वर्ष 1995 में दलाई लामा ने नीमा को 6 वर्ष की उम्र में ग्यारहवें पंचेन लामा के रूप में मनोनीत कर दिया था. यानी नीमा तब तिब्बत में दलाई लामा के बाद दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हो गये. लेकिन इसके बाद 17 मई 1997 को पंचेन लामा को चीनी सरकार ने परिवार समेत अगवा कर लिया. और उसके बाद से ही उनका कभी पता नहीं चला.


इसके पीछे चीन की गहरी साजिश..
बौद्ध धर्म के अनुयायी और मानवाधिकार कार्यकर्ता..नीमा यानी पंचेन लामा को सबसे कम उम्र का राजनैतिक बंदी बताते हुए उनकी रिहाई की पिछले 29 वर्षों से मांग करते आ रहे हैं. ज़ी मीडिया की टीम ने पंचेन लामा की गुमशुदगी के रहस्य और इसके पीछे चीन की गहरी साजिश को डिकोड करने के लिए धर्मशाला के मैक्लॉडगंज से एक Exclusive रिपोर्ट तैयार की है..जो तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय है...जहां पंचेन लामा के 35वें जन्मदिन पर प्रार्थना की जा रही हैं और चीन से पंचेन लामा को आजाद करने की मांग की जा रही है...


 29 वर्षों से चीन ने बंधक बनाया..
तिब्बती बौद्धों के लिए पंचेन लामा सिर्फ एक व्यक्ति नहीं हैं बल्कि ऐसे आध्यात्मिक गुरु हैं जिनसे उनकी भावनाएं जुड़ी हैं. जिन्हें पिछले 29 वर्षों से चीन ने बंधक बनाया हुआ है. दरअसल इसके पीछे चीन की वही रणनीति है..जिसके तहत उन्होंने वर्ष 1959 में दलाई लामा को भी अगवा करने की कोशिश की थी. लेकिन दलाई लामा किसी तरह भारत आ गए थे और चीन की कोशिश नाकाम हो गई थी.


पंचेन लामा को अगवा करने के पीछे चीन का डर था. डर ये था कि. अगर दलाई लामा का चुना हुआ पंचेन लामा तिब्बत में रहा तो भारत में रह रहे दलाई लामा का प्रभाव तिब्बत में रहेगा. और अगले दलाई लामा के चुनाव में भी चीन का कोई रोल नहीं रह जाएगा. चीन को ये भी डर था कि खुद दलाई लामा द्वारा चुना गया पंचेन लामा भी आजाद तिब्बत के लिए मुहिम चलाएगा.


चीन नहीं चाहता था कि पंचेन लामा भी तिब्बत में दलाई लामा जैसी सत्ता हासिल करें. और तिब्बत में चीन की पकड़ को कमजोर पड़ने का डर रहे. इसलिए चीन ने ना सिर्फ दलाई लामा द्वारा चुने गए पंचेन लामा को अगवा किया. बल्कि उसकी जगह अपनी पसंद के पंचेन लामा को भी चुन लिया.


चीन ने तिब्बत में अपने हितों के लिए पंचेन लामा को अगवा किया और राजनैतिक बंदी बनाकर बीजिंग ले गया. और उनकी जगह अपने उम्मीदवार ग्याकेन नोरबू को तिब्बत लाकर पंचेन लामा घोषित कर दिया. और कहा कि वही असली पंचेन लामा है. ये उस वक्त की तस्वीरें हैं जब तिब्बत में चीन सरकार ने ग्याकेन नोरबू को पंचेन लामा बना दिया था. यानी एक तरह से चीन ने खुद ही दलाई लामा बनकर अपनी पसंद और सहूलियत का पंचेन लामा चुन लिया.



चीन ने अपना पंचेन लामा घोषित कर दिया. लेकिन लेकिन असली पंचेन लामा कहां है..इसकी जानकारी चीन पिछले 29 वर्षों से छिपा रहा है..
वर्ष 1996 में चीन ने पंचेन लामा की जानकारी देने से ये कहकर मना कर दिया कि
- पंचेन लामा को चरमपंथियों से खतरा था. इसलिए पंचेन लामा को सुरक्षित जगह पर रखा गया है.
- वर्ष 2007 में चीन ने पंचेन लामा को आजाद करने की मांग पर कहा कि
- पंचेन लामा, चीनी संस्कृति की शिक्षा ले रहे हैं और उनकी सुरक्षा को खतरा है.


वर्ष 2015 में चीन ने दावा किया कि
- पंचेन लामा, एक सामान्य जिंदगी जी रहे हैं और वो नहीं चाहते कि कोई उन्हें Disturb करे.
- यानी पंचेन लामा दुनिया के सामने ही नहीं आना चाहते.


चीन के अलावा कोई नहीं जानता कि पंचेन लामा कहां हैं. जबरदस्ती गायब किए गए लोगों पर बना UN Working Group वर्ष 1995 से ही असली पंचेन लामा के बारे में पता करने की कोशिश कर रहा है...2013 में इस ग्रुप ने चीन सरकार से मांग की थी कि वो उसे चीन के दौरे की इजाज़त दे...लेकिन चीन ने इसकी इजाजत नहीं दी थी. और आज भी तिब्बती बौद्ध अपने पंचेन लामा की आजादी की मांग कर रहे हैं..और उनके सकुशल होने की प्रार्थना कर रहे हैं...((प्रार्थना के विजुअल्स और बाइट से खत्म कर दें))


पंचेन लामा के 35वें जन्मदिन पर आपको समझ में आ गया होगा कि पंचेन लामा को अगवा करने के पीछे चीन की कब्जे वाली नीति है. वो नहीं चाहता कि तिब्बत में उसके कब्जे को कोई चुनौती दे. और मजे की बात तो ये है कि पंचेन लामा को चुनने के पीछे बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म का सिद्धांत है..लेकिन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की Ideology में पुनर्जन्म पर विश्वास का कोई सिद्धांत नहीं है फिर भी उसने अपना पंचेन लामा चुन लिया. यानी तिब्बत पर कब्जा जमाए रखने के लिए चीन की कम्युनिस्ट सरकारों ने अपनी Ideology से ही समझौता किया हुआ है.