तुर्किये ने एक बार फिर से अपना रंग दिखा दिया. उसने महज एक महीने में ही भारत के एहसानों को भुला दिया और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान का साथ दिया है. उसने मुस्लिम भाईचारा निभाते हुए भारत के खिलाफ पाकिस्तानी प्रोपेगेंडा को जायज ठहराने की कोशिश की.