Vladimir Putin UAE Saudi Arabia Visit 2023: इजरायल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद दुनिया में जो सबसे बड़ा बदलाव हुआ है, वह ये है कि अब विश्व का रूस-यूक्रेन युद्ध से ध्यान हट गया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन परिस्थितियों को अपने देश के हक में जमकर भुना रहे हैं. खाड़ी देशों में अमेरिका के कम होते प्रभाव का फायदा उठाने के लिए वे अब संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की यात्रा पर पहुंचे हैं. वहां पर वे तीनों देशों में कारोबार बढ़ाने और वैश्विक मसलों पर एकजुट होकर काम करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे. 


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ICC का आदेश बना रुकावट


बताते चलें कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) की ओर से उन्हें युद्ध अपराधी ठहराने के बाद पुतिन अब तक दुनिया के गिने चुने देशों की यात्रा पर ही गए हैं. दक्षिण अफ्रीका में हुई ब्रिक्स समिट में उन्होंने भाग लेना इसलिए टाल दिया था क्योंकि साउथ अफ्रीका ने आईसीसी चार्टर पर हस्ताक्षर कर रखे हैं. इस चार्टर के मुताबिक, ICC की ओर से कोई आदेश जारी किए जाने के बाद संबंधित देशों के लिए उसका पालन करना अनिवार्य होता है. 


इसके बाद उन्होंने भारत में आयोजित हुई जी-20 समिट से भी दूरी बना ली. हालांकि भारत ICC का मेंबर नहीं है. ऐसे में पुतिन को भारत आने पर अरेस्टिंग का डर नहीं था. फिर भी उनकी वजह से भारत किसी अप्रिय स्थिति में पड़े, इसलिए उन्होंने इस सम्मेलन में आना टाल दिया और अपनी जगह विदेश मंत्री को भेजा. अब वे यूएई और सऊदी अरब की यात्रा पर पहुंचे हैं. 


दुबई पहुंचने पर शाही स्वागत


बुधवार को उनके आबू धाबी एयरपोर्ट पर उतरते ही शाही स्वागत किया गया. इस दौरान पूरे रास्ते की सड़कें संयुक्त अरब अमीरात और रूसी झंडों से सजी हुई थीं. 
उनके आगमन मार्ग पर घोड़ों और ऊँटों पर सवार सैनिक कतार में खड़े थे, रूसी और अमीरात के झंडे भी बिजली के खंभों पर लटक रहे थे. जैसे ही अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और सशस्त्र बलों के उप सर्वोच्च कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान और पुतिन महल के ग्रेट हॉल से गुजरे, उन दोनों को 21 तोपों की सलामी दी गई. कोरोना महामारी शुरू होने के बाद वे पहली बार खाड़ी देशों की यात्रा पर पहुंचे हैं. 


दोनों को एक-दूसरे की जरूरत


सूत्रों के मुताबिक इस वक्त रूस और खाड़ी देशों, दोनों को एक दूसरे की जरूरत है. अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर बहुत सारे आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं, जिससे रूस की इकोनॉमी हिचकोले खा रही है. अपनी कमजोर होती अर्थव्यवस्था को उबारने और दोबारा से रूस का पुराना रुतबा बहाल करने के लिए रूस को खाड़ी देशों की जरूरत है. वहीं पश्चिम एशिया से अमेरिका का ध्यान हटने और ईरान के लगातार मजबूत होने से चिंतित खाड़ी के देश अपनी सुरक्षा के लिए विकल्प ढूंढ रहे हैं. उन्हें यह विकल्प रूस में नजर आ रहा है. 


पश्चिमी देशों से नाराजगी


जानकारी के मुताबिक खाड़ी के देश रूस के साथ संबंध मजबूत करके अपनी रक्षा जरूरतों पूरी करना चाहते हैं. साथ ही पश्चिमी देशों पर अपनी निर्भरता भी घटाना चाहते हैं, जिससे संकट की स्थिति में वे तुरंत प्रतिक्रिया दे पाएं. दोनों पक्षों की यह जरूरत उन्हें एक-दूसरे के नजदीक ला रही है. वे पहले यूएई में शासक के साथ मुलाकात करेंगे. उसके बाद वे सऊदी अरब जाकर वहां के शासक मोहम्मद बिन सलमान से मिलेंगे.


पुतिन की पहलकदमियों पर नजर


पुतिन के दोनों खाड़ी देशों की यात्रा की दूसरी वजह ये है कि न तो सऊदी अरब और न ही संयुक्त अरब अमीरात, दोनों में से किसी ने आईसीसी चार्टर पर हस्ताक्षर नहीं कर रखे हैं. ऐसे में इन दोनों देशी का यात्रा के दौरान उन्हें अपनी अरेस्टिंग का कोई डर नहीं रहेगा. इस एकदिवसीय यात्रा के बाद पुतिन अपने देश लौट जाएंगे, जहां गुरुवार को वे ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी से मुलाकात करेंगे. पुतिन की इन पहलकदमियों पर पश्चिम देशों की भी नजरें लगी हुई हैं.