Can Human Survive on Mars: मंगल ग्रह पर बवंडर वसंत और गर्मियों के महीनों के दौरान सबसे ज्यादा आते हैं. वैज्ञानिक भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि वे किसी खास जगह पर कब दिखाई देंगे. छह पहियों वाला पर्सिवेरेंस फरवरी 2021 में 45 किलोमीटर चौड़े जेजेरो क्रेटर के फर्श पर उतरा था.
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Mars Mission: नासा के पर्सिवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर धूल से भरा बवंडर देखा है. ये धूल भरे बवंडर धरती पर भी होते हैं. ये तब बनते हैं जब गर्म हवा नीचे आ रही ठंडी हवा के कॉलम के साथ मिलती है. मंगल ग्रह के बवंडर धरती पर पाए जाने वाले बवंडरों की तुलना में बहुत बड़े हो सकते हैं.
टीम के अधिकारियों के अनुसार, 30 अगस्त को मिशन के 899वें मंगल दिवस या सोल पर, नासा के पर्सिवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह के धूल के बवंडर के सतह के पास वाले हिस्से का वीडियो भेजा है. यह मंगल के जेज़ेरो क्रेटर के पश्चिमी रिम के साथ बढ़ रहा था.
वैज्ञानिकों ने कही ये बात
वीडियो रोवर के नैवकैम ने बनाया है. बोल्डर, कोलोराडो में स्पेस साइंस इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक और पर्सिवेरेंस साइंस टीम के सदस्य मार्क लेमन ने कहा, 'हम धूल के शैतान के टॉप को नहीं देखते हैं, लेकिन जो छाया वह बना रहा है वह हमें उसकी ऊंचाई का अच्छा संकेत देता है.'
लेमन ने कहा, 'ज्यादातर वर्टिकल कॉलम हैं. अगर इस धूल के शैतान को इस तरह से कॉन्फ़िगर किया गया था, तो इसकी छाया यह संकेत देगी कि इसकी ऊंचाई लगभग 1.2 मील (2 किलोमीटर) है.'
इमेजरी से डेटा का इस्तेमाल करते हुए मिशन वैज्ञानिकों ने तय किया कि बवंडर लगभग चार किलोमीटर दूर, 'थोरोफेयर रिज' नाम की जगह पर था और करीब 19 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ रहा था.
उन्होंने इसकी चौड़ाई लगभग 60 मीटर आंकी जबकि कैमरे के फ्रेम में घूमते भंवर का केवल निचला 118 मीटर हिस्सा दिखाई दे रहा है. वैज्ञानिकों ने करीब दो किलोमीटर की पूरी ऊंचाई का अनुमान लगाने के लिए बवंडर की छाया का इस्तेमाल किया.
गर्मियों-वसंत में आते हैं सबसे ज्यादा बवंडर
मंगल ग्रह पर बवंडर वसंत और गर्मियों के महीनों के दौरान सबसे ज्यादा आते हैं. वैज्ञानिक भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि वे किसी खास जगह पर कब दिखाई देंगे. छह पहियों वाला पर्सिवेरेंस फरवरी 2021 में 45 किलोमीटर चौड़े जेजेरो क्रेटर के फर्श पर उतरा था. मंगल ग्रह पर पर्सीवरेंस के मिशन का एक अहम मकसद खगोल विज्ञान है, जिसमें प्राचीन सूक्ष्मजीव जीवन के संकेतों की खोज भी शामिल है.
(इनपुट-IANS)