30 जनवरी को ही दे दी थी चेतावनी, तब दुनिया को हमारी बात ध्यान से सुननी चाहिए थी: WHO
WHO प्रमुख टेड्रोस ने कहा कि, `डब्ल्यूएचओ ने शुरुआत से ही विज्ञान और सबूतों के आधार पर ठीक से चेतावनी दी थी, हालांकि हमारे पास ऐसा कोई मैनडेट नहीं है कि हम देशों को हमारी सलाह मानने के लिए मजबूर कर सकें.`
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस (Tedros Adhanom) ने कहा कि 30 जनवरी को डब्ल्यूएचओ ने COVID-19 को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करके वैश्विक आपातकाल की चेतावनी दी थी. उस समय, चीन के बाहर 100 से कम मामले थे और कोई भी मौत नहीं हुई थी.
टेड्रोस ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'दुनिया को तब डब्ल्यूएचओ की बात ध्यान से सुननी चाहिए थी.'
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने वायरस को सही से नहीं संभाल पाने और चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए WHO को दिए जाने वाले फंड पर रोक लगा दी थी.
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डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि हर देश अपने सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को शुरू कर सकता था, मुझे लगता है कि उन्हें डब्ल्यूएचओ की सलाह के महत्व को समझना चाहिए था.
उन्होंने कहा, 'हमने पूरी दुनिया को एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को लागू करने की सलाह दी, और हमने ही खोजने, टेस्ट करने, अलग रखने और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के लिए कहा था.'
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, 'आप खुद ही जांच सकते हैं कि जिन देशों ने इस बात का अनुसरण किया है, वे दूसरों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं और ये सच है. ये देशों की मर्जी पर है कि वो सलाह मानें या उसे रिजेक्ट कर दें. हर देश की अपनी जिम्मेदारी होती है.'
ये वैश्विक महामारी अब तक 192 देशों तक पहुंच गई है, और इसने दुनिया भर में 206,000 से ज्यादा लोगों की जान ली है. अमेरिका में मौत का आंकड़ा 55,000 से अधिक है.
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