कुछ घंटे पहले भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से चीनी विदेश मंत्री ने मुलाकात की. इससे पहले बॉर्डर से तनाव कम करने वाली खबर आई थी. आपको लग रहा होगा कि अचानक चीन अपनी चालबाजी भूल इतना नरम क्यों दिख रहा है. इसकी एक बड़ी वजह है.
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आपने गौर किया होगा पिछले कुछ हफ्तों में भारत को लेकर चीन के तेवर नरम पड़ गए हैं. ऐसा लग रहा है जैसे पड़ोसी मुल्क भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए बेकरार है. वैसे तो इसकी कई वजहें हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण अमेरिका से जुड़ा है. जी हां, अमेरिका-भारत सामरिक एवं साझेदारी मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी ने इनसाइड स्टोरी बताई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में बनने जा रही ट्रंप सरकार का प्रेशर कम करने के लिए चीन अब भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है.
ट्रंप इफेक्ट समझिए
अमेरिका में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने जीत दर्ज की है और वह जनवरी में देश की बागडोर संभालेंगे. ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान चीन से माल पर 60 प्रतिशत शुल्क और हर दूसरे अमेरिकी आयात पर 20 प्रतिशत तक के शुल्क का प्रस्ताव रखा था.
इसलिए चीन पर बना प्रेशर
अघी ने कहा, ‘इसलिए हम ट्रंप प्रशासन के आने का प्रारंभिक प्रभाव देख रहे हैं, जिसने चीन पर भारत के साथ व्यवहार को आसान बनाने का दबाव बनाया है इसीलिए सीमा पर गश्त पर सहमति बनी है. सीधी उड़ानों पर सहमति बनी है.’ अघी ने कहा, ‘वे भारत आने वाले चीन के लोगों के लिए ज्यादा वीजा भी जारी करेंगे. आप देख रहे हैं कि ट्रंप की जीत का भारत-चीन संबंधों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.’
भारत ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है, जिससे चार साल से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध समाप्त हो गया. अघी ने कहा, ‘चीन की ओर से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि ट्रंप आ रहे हैं. अमेरिका के साथ रिश्ते तनावपूर्ण हो जाएंगे इसलिए कई मोर्चों पर तनाव क्यों रखें.. कम से कम भारत के साथ साझेदारी या संभावित रिश्ते को आसान बनाया जाए.’
उन्होंने कहा कि अमेरिका में नया प्रशासन विनिर्माण को चीन से दूर ले जाने और अमेरिका में ही रोजगार सृजन की योजना बना रहा है. इस बीच, एक खबर आई है कि अमेरिका में कांग्रेस की एक समिति ने सिफारिश की है कि चीन के साथ अपने व्यापार संबंधों को अमेरिका कड़ा करे और लगभग 25 साल पुराने उस फैसले को वापस लेने पर जोर दे जिसने चीन की तीव्र आर्थिक वृद्धि में मदद की थी और जिसे अब अमेरिका में कई लोग अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने वाला मानते हैं.
‘अमेरिका-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग’ ने मंगलवार को कांग्रेस को भेजी अपनी नौ पन्नों की वार्षिक रिपोर्ट में पहली बार चीन के साथ स्थायी सामान्य व्यापार संबंधों को समाप्त करने का आह्वान किया. यह कदम ट्रंप और कई प्रमुख रिपब्लिकन सांसदों की विचारधारा के अनुरूप है क्योंकि आने वाले प्रशासन के तहत चीन के साथ व्यापार युद्ध के तेज होने के आसार हैं. (भाषा)