नई दिल्लीः 13 अप्रैल 2021 से चैत्र नवरात्र शुरू हो रही है. इसी दिन हिंदू नववर्ष का पहला दिन भी मनाया जाएगा. नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा की पूजा के लिए सारी तैयारियां अंतिम चरण में हैं.
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नवरात्र में पहला दिन है खास
मां दुर्गा की नौ दिन की आराधना में सबसे खास है पहला दिन. क्योंकि पहले ही दिन घट स्थापना करके पूजन की शुरुआत की जाएगी.
इसके बाद अखंड ज्योति जलाकर उसे 9 दिन तक जागृत अवस्था में रखा जाएगा और ज्योति को माता का एक स्वरूप मानते हुए ही उनकी पूजा भी की जाएगी.
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पूजा के लिए जरूरी है संकल्प
अब सबसे जरूरी होता है पूजा और व्रत का संकल्प. 9 दिन की पूजा करने, व्रत रखने और देवी की महिमा गाने का जो अनुष्ठान है उसका संकल्प लेते हुए उसे मंत्रों में बांधना होता है.
इस संकल्प के गवाह (साक्षी) खुद गौरी पुत्र गणेश, सभी ग्रह, अग्नि, सभी दिशाएं, लोकपाल और दिग्पाल बनते हैं. इसके साथ ही यह सभी लोग संकल्प को सिद्ध करने और उसे पूरा करने के लिए अदृश्य रूप में सहायक भी बनते हैं.
एक बार और जान लीजिए घट स्थापना विधि
पहले मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं.
अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग में कलावा बाँधें.
आम या अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रखें.
अब नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें.
नारियल में कलावा भी लपेटा होना चाहिए.
घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान करते हैं.
इस तरह लिया जाएगा पूजा का संकल्प
9 दिनों तक व्रत रखने वाले भक्तों को निम्नलिखित मंत्र के साथ पूजा का संकल्प करना चाहिए.
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये.
मंत्र के उच्चारण में रखें ध्यान
ध्यान रखें कि मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए. इस मंत्र में कई जगह अमुक शब्द आया है. जैसे- अमुकनामसम्वत्सरे, यहां पर आप अमुक की जगह संवत्सर का नाम उच्चारित करेंगे.
यदि संवत्सर का नाम सौम्या है तो इसका उच्चारण सौम्यनामसम्वत्सरे होगा. ठीक ऐसे ही अमुकवासरे में उस दिन का नाम, अमुकगोत्रः में अपने गोत्र का नाम और अमुकनामाहं में अपना नाम बोलेंगे.
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अगर कुछ विशेष दिनों के लिए उपवास रखना है
यदि पहले, दूसरे, तीसरे आदि दिनों के लिए उपवास रखा जाए, तब ऐसी स्थिति में ‘एतासु नवतिथिषु’ की जगह उस तिथि के नाम के साथ संकल्प किया जाएगा. जिस तिथि को उपवास रखा जा रहा है उसका नाम बोलना होगा. जैसे - यदि सातवें दिन का संकल्प करना है, तो मंत्र इस प्रकार होगा:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि सप्तम्यां तिथौ अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये.
षोडशोपचार पूजा के लिए ऐसे करें संकल्प
अगर नवरात्रि के दौरान षोडशोपचार पूजा करनी हो तो इस मंत्र से प्रतिदिन पूजा का संकल्प करें:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे नवरात्रपर्वणि अखिलपापक्षयपूर्वकश्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः षोडशोपचार-पूजनं विधास्ये.
यह मंत्र बिल्कुल शुद्ध हैं, और इन्हें इसी शुद्धता के साथ उच्चारण किया जाएगा. अगर कोई श्रद्धालु श्रद्धा भाव के साथ इन्हीं मंत्रों का जाप और वाचन करते हुए नवरात्र व्रत का संकल्प लेंगे तो उन्हें इसका फल जरूर मिलेगा.
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