Haridwar Mahakumbh 2021: उस अखाड़े की कहानी जिसने विदेशी आक्रांताओं से बचाई संस्कृति

श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा की पेशवाई पांच मार्च को प्राचीन गुघाल मंदिर से निकाली जाने वाली है. इसकी धर्मध्वजा तीन मार्च को फहराई जा चुकी है. इसके अलावा आज ही आनंद अखाड़ा की पेशवाई भी एसएमजेएन पीजी कॉलज से निकाली जाएगी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 5, 2021, 09:11 AM IST
  • अखाड़े में कई पद होते हैं और सभी के अलग-अलग काम भी बंटे होते हैं
  • आज प्राचीन गुघाल मंदिर से निकलेगी पंचदशनाम अखाड़े की पेशवाई
Haridwar Mahakumbh 2021: उस अखाड़े की कहानी जिसने विदेशी आक्रांताओं से बचाई संस्कृति

नई दिल्लीः Haridwar Mahakumbh 2021 में गंगातट और आश्रम प्रवेश तक पेशवाई निकलने का सिलसिला जारी है. प्राचीन संस्कृति के साथ बैंड बाजे और ढोल-ताशों का संगम इस पेशवाई यात्रा की अद्भुत छटा बिखेर रहा है. श्रीनिरंजनी अखाड़ा, जूना अखाड़ा की पेशवाई निकाली जा चुकी है. अब बारी है पंचदशनाम आह्वान अखाड़े की पेशवाई की, जो कि पांच मार्च शुक्रवार को निकाली जा रही है. आह्वान अखाड़ा वाराणसी से संबंध रखता है. 

जानकारी के अनुसार, श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा की पेशवाई पांच मार्च को प्राचीन गुघाल मंदिर से निकाली जाने वाली है. इसकी धर्मध्वजा तीन मार्च को फहराई जा चुकी है. इसके अलावा आज ही आनंद अखाड़ा की पेशवाई भी एसएमजेएन पीजी कॉलज से निकाली जाएगी. इसकी धर्मध्वजा 27 फरवरी को आनंद अखाड़ा में फहराई गई थी. 

श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़े का इतिहास
अपने आप में छठवीं शताब्दी से लेकर अब तक इतिहास समेटे है श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा. इसकी प्राचीनता और इसके महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उस दौरान आदि गुरु शंकराचार्य ने इसकी स्थापना की थी. अखाड़े की धर्म ध्वजा का दंड वाराणसी स्थिति दशाश्वमेध घाट पर स्थापित है.

यह ध्वज दंड इस संकल्प की याद दिलाता है कि अखाड़े को हमेशा ही धर्म की रक्षा करनी है. वर्तमान समय में भी यह इसी उद्देश्य पर काम कर रहा है. जहां भी विधर्म होगा, वहां नागा साधुओं का यह अखाड़ा मौजूद रहेगा. नागा साधु हर परिस्थिति में धर्म की रक्षा करेंगे.

पहले था आवाहन सरकार नाम
इस अखाड़े को पहले आवाहन सरकार के नाम से भी जाना जाता था. दरअसल विदेशी आक्रांताओं के समय धर्म की रक्षा के लिए इसी अखाड़े का आवाह्न किया गया. नतीजा यह हुआ कि जो दौर सनातन परंपरा और मंदिरों के लिए बेहद कठिन था, उसमें मंदिरों की रक्षा और संस्कृति का संरक्षण आवाहन सरकार के जरिए ही हुआ. 

अखाड़े में भी होते हैं पद
अखाड़े में कई पद होते हैं और सभी के अलग-अलग काम भी बंटे होते हैं. सबसे पहले श्री महंत होते हैं. उसके बाद अष्ट कौशल महंत होते हैं. इनके बाद अखाड़े के थानापति आते हैं. हर अखाड़े के अलग-अलग थानापति होते हैं. इसमें भी दो पंच होते हैं, जिन्हें रमता पंच और शंभू पंच के नाम से जाना जाता है.

पांच सरदारों अखाड़े के कार्य देखने के लिए नियुक्त होते हैं. इनमें भंडारी, कोतवाल ,कोठारी, कारोबारी और पुजारी महंत होते हैं. ये सभी अखाड़े की पूजा अर्चना और धार्मिक कार्यों को देखते हैं. इसके साथ ही सभी सरदार अखाड़े के आवश्यक कार्यों का संचालन करते हैं, जिससे कि अखाड़े की क्रिया प्रतिक्रिया में कोई बाधा न हो सके.

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