नई दिल्ली. श्राद्ध या पितृ पक्ष एक अपने पूर्वजों को याद करने का समय है. इस साल पितृ पक्ष 11 से शुरू होकर 25 सितंबर को समाप्त होगा. मान्यता के अनुसार, इस अवधि के दौरान किए गए अनुष्ठान से पूर्वजों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से सर्वपितृ अमावस्या तक की अवधि है.
यदि किसी की मृत्यु की तिथि का ज्ञान न हो तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध किया जाना सबसे अच्छा होता है. इस दिन आप किसी भी पूर्वज का श्राद्ध कर सकते है. यह श्राद्ध सभी पितरों की शांति के लिए किया जाता है.
इसके अलावा अश्विन कृष्ण प्रतिपदा के दिन भी मातामह श्राद्ध (नाना पक्ष) किया जाता है और यह श्राद्ध सुहागन स्त्री अपने दिवंगत पिता के निमित्त कर सकती है, लेकिन यदि पुत्री विधवा है तो वह यह श्राद्ध नहीं कर सकती है.
पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन?
पितृ पक्ष के अंतिम दिन को 'सर्वपितृ अमावस्या' के नाम से जाना जाता है. इसे 'पितृ अमावस्या' या केवल 'महालय' के नाम से भी जाना जाता है. यह 'पितृ पक्ष' का सबसे महत्वपूर्ण दिन है.
पितृ अमावस्या को श्राद्ध करने की विधि
- सर्वपितृ अमावस्या को प्रात: स्नानादि के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.
- इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए.
- श्राद्ध के लिये बनाये गये भोजन के अंश को गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों को देना चाहिए.
- ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को भोजन करवाना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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