Pitru Paksha 2024: घर में पुरुष नहीं हैं तो कौन कर सकता है श्राद्ध, पंडित जी से जानें

Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू हो रहा है. ये 2 अक्टूबर तक चलेंगे. प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को होगा. वहीं 28 सितंबर को किसी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा. श्रद्धा से किया गया कर्म श्राद्ध कहलाता है. अपने पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं. उन्हें तृप्त करने की क्रिया को तर्पण कहा जाता है. तर्पण करना ही पिंडदान करना है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 16, 2024, 05:11 PM IST
  • जिस तिथि पर स्वर्गवास उसी दिन होता है श्राद्ध
  • पुरुष नहीं तो महिलाएं भी कर सकती है श्राद्ध
Pitru Paksha 2024: घर में पुरुष नहीं हैं तो कौन कर सकता है श्राद्ध, पंडित जी से जानें

नई दिल्लीः Pitru Paksha 2024: पितरों का कर्ज चुकाना एक जीवन में संभव ही नहीं है. उनके द्वारा संसार त्याग कर चले जाने के बाद भी श्राद्ध करते रहने से उनका ऋण चुकाने की परंपरा है. पितृ पक्ष  के दौरान दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है.  मान्यता है कि अगर पितर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति का जीवन भी खुशहाल नहीं रहता और उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. 

किस तिथि को नहीं होगा श्राद्ध

यही नहीं घर में अशांति फैलती है और व्यापार व गृहस्थी में भी हानि झेलनी पड़ती है. ऐसे में पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध करना जरूरी माना जाता है. बता दें कि इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से शुरू हो रही है और ये 2 अक्टूबर तक चलेंगे. प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को होगा. 28 सितंबर को किसी तिथि का श्राद्ध नहीं होगा.

जिस तिथि पर स्वर्गवास उसी दिन होता है श्राद्ध

श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है और पिंड दान व तर्पण कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की जाती है. श्राद्ध से जो भी कुछ देने का हम संकल्प लेते हैं, वह सब कुछ उन पूर्वजों को अवश्य प्राप्त होता है. जिस तिथि में जिस पूर्वज का स्वर्गवास हुआ हो उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है जिनकी परलोक गमन की तिथि ज्ञान न हो, उन सबका श्राद्ध अमावस्या को किया जाता है.

पुरुष नहीं तो महिलाएं भी कर सकती है श्राद्ध

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि श्राद्ध कर्म करने से तीन पीढ़ियों के पूर्वजों को तर्पण किया जा सकता है. श्राद्ध तीन पीढ़ियों तक होता है. श्राद्ध पुत्र, पोता, भतीजा या भांजा करते हैं. जिनके घर में पुरुष सदस्य नहीं हैं, उनमें महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. इसलिए पाठकों से अनुरोध है कि वे इस लेख को अंतिम सत्य या दावा न मानें. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)

 

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