नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, दूर हो जाएंगे सारे कष्ट

मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है. जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है. शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 6, 2022, 05:50 AM IST
  • आज इस विधि से करें मां कालरात्रि की पूजा
  • स्मरण मात्र से दूर हो जाते हैं है सारे कष्ट
नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा, दूर हो जाएंगे सारे कष्ट

नई दिल्ली: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि. मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है.

मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है. जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है. शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं.

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि का वाहन गधा है और इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से ऊपर का दाहिना हाथ वरद मुद्रा में और नीचे का हाथ अभयमुद्रा में रहता है. जबकि बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और निचले हाथ में खड़ग है.

मां का ये स्वरूप देखने में भले ही भयानक लगता है, किन्तु ये बड़ा ही शुभ फलदायक है. इसलिए देवी मां का एक नाम शुंभकारी भी है. ग्रहों में शनि ग्रह पर देवी मां का आधिपत्य बताया जाता है. इनके स्मरण मात्र से ही भूत-पिशाच, भय और अन्य किसी भी तरह की परेशानी तुरंत दूर भाग जाती है.

मां कालरात्रि पूजा विधि

- सबसे पहले चौकी पर माता कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद गंगा जल से शुद्धिकरण करें. चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें.मां कालरात्रि की पूजा सुबह के समय करना शुभ माना जाता है.

- मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए. सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं.

- उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता कालरात्रि सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें.

- सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए. यथासंभव इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.

- इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें. तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें.

मां कालरात्रि को भोग

सप्तमी नवरात्रि पर मां को प्रसन्न करने के लिए गुड़ या गुड़ से बने व्यंजनों का भोग लगा सकते हैं.

मां कालरात्रि का सिद्ध मंत्र
‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊं कालरात्रि दैव्ये नम.’

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