उज्जैन में महाकाल का स्पर्श नहीं कर पाएंगे श्रद्धालु

 महाकाल मंदिर के ज्योतिर्लिंग को नुकसान से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) ने इस तरह के आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा कि मंदिर में किसी भी श्रद्धालु को शिवलिंग को छूने या रगड़ने की इजाज़त नहीं मिलेगी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 2, 2020, 07:23 AM IST
    • कोर्ट ने कहा है कि भस्म आरती को बेहतर किया जाए ताकि पीएच वैल्यू सही हो और शिवलिंग संरक्षित रहे.
    • श्रद्धालु शिवलिंग पर पंचामृत नहीं चढ़ा सकेंगे. केवल मंदिर में होने वाली परम्परागत पूजा में ही इसकी इजाज़त होगी
उज्जैन में महाकाल का स्पर्श नहीं कर पाएंगे श्रद्धालु

नई दिल्ली: अब श्रद्धालु बाबा महाकाल पर रगड़-रगड़ कर पंचामृत नहीं चढ़ा सकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर सख्त मना किया है. मध्य प्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर में अब श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग को नहीं रगड़ सकेंगे. इसके साथ ही वहां दूध चढ़ाने की अनुमति भी सीमित संख्या और में और कुछ ही लोगों को मिलेगी. दूध की मात्रा भी निश्चित की जाएगी.  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ये दिशा- निर्देश जारी किए. 

केवल परम्परागत पूजा में ही होगी इजाज़त
जानकारी के मुताबिक, महाकाल मंदिर के ज्योतिर्लिंग को नुकसान से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के आदेश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में किसी भी श्रद्धालु को शिवलिंग को रगड़ने की इजाज़त नहीं मिलेगी.

श्रद्धालु शिवलिंग पर पंचामृत नहीं चढ़ा सकेंगे. केवल मंदिर में होने वाली परम्परागत पूजा में ही इसकी इजाज़त होगी. शिवलिंग पर दही, घी, शहद चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी. 

जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुनाया फैसला
जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में फैसला सुनाते हुए मंदिर कमिटी से कहा है कि वह भक्तों के लिए शुद्ध दूध का इंतजाम करेंगे और ये सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी अशुद्ध दूध शिवलिंग पर न चढ़ाएं. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के शिवलिंग के संरक्षण के लिए तमाम आदेश पारित किए हैं.

24 घंटे होगी पूजा स्थल की रिकॉर्डिंग
कोर्ट ने कहा है कि भस्म आरती को बेहतर किया जाए ताकि पीएच वैल्यू सही हो और शिवलिंग संरक्षित रहे. इसके लिए बेहतर से बेहतर तरीका अपनाया जाए. शिवलिंग पर मुंडमाल का भार कम किया जाए. इस बात पर विचार किया जाए कि क्या मेटल वाला मुंडमाल अनिवार्य है. इसके साथ ही कहा गया है कि गर्भगृह में पूजा स्थल की 24 घंटे रिकॉर्डिंग की जाएगी और छह महीने तक इसको संरक्षित किया जाएगा. 

जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुनाया आखिरी फैसला
मंगलवार को जस्टिस मिश्रा का सुप्रीम कोर्ट में बतौर जस्टिस आखिरी दिन था. इस दौरान वह महाकालेश्नर ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा से जुड़े मसले पर सुनवाई कर फैसला सुना रहे थे. 

फैसला सुनाने के बाद जस्टिस मिश्रा ने अपने साथियों से कहा, 'शिवजी की कृपा से ये आखिरी फैसला भी हो गया. जस्टिस मिश्रा ने कहा था कि वह अपने लिए विदाई समारोह नहीं चाहते हैं. 

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