बेंगलुरु: सम्पूर्ण मानव जाति को भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्म, अन्याय और अत्याचार का दमन करने के लिए हमेशा पूर्ण समर्पित रहने की सीख दी है. महाभारत के समय भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की जिस तरह रक्षा की थी वो सभी के लिए प्रेरणास्रोत है. भगवान श्रीकृष्ण की इसी लीला को कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने आदर्श माना है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि महिलाओं की रक्षा करने के मामले में सभी अदालतों को श्री कृष्ण की भूमिका में आना चाहिए.
भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका में आएं सभी अदालतें
कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka Highcourt) ने कहा है कि अदालतों को महिलाओं की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण की तरह काम करना चाहिए. महाभारत के समय जब कौरव द्रौपदी का वस्त्रहरण कर रहे थे और कोई भी उनकी मदद करने में समर्थ नहीं था तब श्रीकृष्ण ने द्वारिकापुरी से द्रौपदी की रक्षा की है.
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उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति ई एस इंद्रेश की पीठ ने 2013 में 69 वर्षीय महिला से दुष्कर्म के दोषी द्वारा दाखिल अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की.
महिलाओं की रक्षा करना ही धर्म की रक्षा
उच्च न्यायालय ने कहा कि समय आ गया है कि अदालत को अभिभावक की तरह काम करना चाहिए और महिलाओं की रक्षा करते हुए धर्म की रक्षा करनी चाहिए, जैसा कि देश के संविधान के अनुच्छेद 21 में कहा गया है और दुष्कर्मियों समेत सभी दोषियों के साथ कड़ाई से पेश आना चाहिए.
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गीता के श्लोकों का हाईकोर्ट ने किया जिक्र
आपको बता दें कि भगवद्गीता के दो श्लोकों का संदर्भ देते हुए पीठ ने आठ सितंबर के अपने आदेश में कहा कि महाभारत के भगवान श्रीकृष्ण ने जिस तरह धर्म की रक्षा की, अदालत को उसी तरह काम करना चाहिए.