नई दिल्ली: अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी इकबाल मिर्ची की बीवी और उसके दोनों बेटे भी अब कानूनी डंडे से बच नहीं पाएंगे. क्योंकि इकबाल मिर्ची की जिसका नाम हजरा मेमन है और उसके दोनों बेटे आसिफ और जुनैद के खिलाफ मुंबई की स्पेशल PMLA अदालत ने गैर जमानती वारंट (NBW) जारी किया हैं.
तो क्या कई और खुलासे होंगे दाऊद के बारे में..
इकबाल मिर्ची वही गैंगस्टर था, जिसने भारत के सबसे बड़े दुश्मनों की सूची में शामिल आतंक के पर्याय अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम के वफादार की भूमिका निभाई थी. हालांकि जानकारी के अनुसार मिर्ची की मौत 7 साल से ज्यादा वक्त पहले लंदन में हार्ट अटैक के चलते मौत हो गई थी. हाल ही में दाऊद के एक खास गुर्गे एजाज लकड़ावाला ने दाऊद के पाकिस्तानी ठिकाने की जानकारी मुहैया कराई थी. ऐसे में दाऊद के राइट हैंड की की बीवी और बच्चे भी कानूनी शिकंजे में होंगे तो निश्चित तौर पर कई और अहम खुलासे और जानकारी मिलनी की संभावना बढ़ जाती है. भले ही इकबाल इस दुनिया में ना हो, लेकिन उसके आका दाऊद के बारे में कई राज से बीवी और बेटे पर्दा उठा सकते हैं.
जब दाऊद के बारे में पुख्ता सूचना है तो उसे दबोचा क्यों नहीं जा रहा?
स्पेशल कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तीनों (बीवी हजरा मेमन और दोनों बेटे आसिफ इकबाल मेमन और जुनैद इकबाल मेमन) के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस (RCN) जारी करने के लिए कहेगी. दरअसल, आपको पूरा माजरा समझा दें कि इनपर तीन संपत्तियां जो कि 225 करोड़ रूपये की हैं, उसे अवैध रूप से खरीदने का आरोप है.
सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल
खास बात तो ये है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) इन सभी आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र (चार्जशीट) भी दाखिल कर लिया है. दिसंबर 2019 में प्रवर्तन निदेशालय ने दाऊद के करीबी इकबाल मिर्ची, उसके दोनों बेटों और बीवी समेत कुल 16 आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार्जशीट दाखिल की थी.
12 हजार पन्ने की चार्जशीट के अनुसार दाऊद का इस गुर्गे यानी इकबाल मिर्ची ने मुंबई के वर्ली क्षेत्र में तकरीबन सवा 2 सौ करोड़ रूपये की 3 संपत्तियां खरीदी थी. मिर्ची ने इन संपत्तियों को अवैध तरीके से कमाए पैसों से खरीदा था. ऐसे में उसपर केस दर्ज हुआ तो वो देश छोड़कर फरार हो गया. जानकारी के अनुसार इन संपत्तियों को यूसुफ ट्रस्ट के नाम पर खरीदा गया था, जिसके बाद इसे परिवार के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया था.
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यहां आपका ये भी जानना जरूरी हो जाता है कि इन संपत्तियों को मुंबई पुलिस ने स्मगलर एंड फॉरेन एक्सचेंज मनिपुलेटर्स एक्ट (SAFEMA) के तहत जब्त कर लिया था. हालांकि बाद में इन संपत्तियों को साल 2005 में हारून यूसुफ ने अदालत में झूठी गवाही देकर छुड़ा ली थी. जिसके बाद इन तीनों संपत्तियों को बेच दिया गया.
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