डॉ विवेक बिंद्रा ने बताया कैसे दुनिया भर की कंपनीज पर कब्ज़ा कर लक्ष्मी नारायण मित्तल बने स्टील इंडस्ट्री के किंग

लक्ष्मी नारायण मित्तल का जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुआ और परिवार इनका बेहद साधारण था. घर में कई सारे बच्चे थे  इसीलिए परवरिश भी काफी साधारण हुई थी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 2, 2024, 01:17 PM IST
डॉ विवेक बिंद्रा ने बताया कैसे दुनिया भर की कंपनीज पर कब्ज़ा कर लक्ष्मी नारायण मित्तल बने स्टील इंडस्ट्री के किंग

नई दिल्लीः मोटिवेशनल स्पीकर और बिजनेस कोच डॉ विवेक बिंद्रा ने हाल ही में देशभर के युवाओं को बिजनेस गाइडेंस और स्ट्रेटजी देने के लिए अपने यूट्यूब चैनल पर “टायकून्स ऑफ इंडिया” नाम की एक सीरीज को लॉन्च किया है. इस सीरीज के तीसरे एपिसोड में उन्होंने स्टील इंडस्ट्री के किंग लक्ष्मी नारायण मित्तल की बात की. 

इस एपिसोड में डॉ बिंद्रा ने लक्ष्मी नारायण मित्तल के स्ट्रगल से लेकर सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने तक के सफ़र और उनकी कुछ खास बिजनेस स्ट्रेटेजीज के बारे में बताया. बुर्ज खलीफा से लेकर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तक इन्हीं की Arcelormittal कंपनी का स्टील लगा हुआ है. ये दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी है. साल 2005 में ये दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति भी थे लेकिन इस सफलता तक पहुंचने का इनका सफर काफी छोटे बड़े संघर्षों से भरा रहा है.

छोटे गांव जन्में लक्ष्मी मित्तल ने अपनी मेहनत से पूरे किए बड़े सपने

लक्ष्मी नारायण मित्तल का जन्म राजस्थान के एक छोटे से गांव में हुआ और परिवार इनका बेहद साधारण था. घर में कई सारे बच्चे थे  इसीलिए परवरिश भी काफी साधारण हुई थी. परिवार की बेहतरी के लिए इनके पिता राजस्थान से परिवार सहित कोलकाता में जाकर रहने लगे, तब एक छोटे से कमरे में ये नौ लोग रहा करते थे. लक्ष्मी नारायण मित्तल की एक साधारण हिंदी मीडियम स्कूल से इनकी पढ़ाई हुई थी लेकिन फिर भी बारहवीं की परीक्षा में इन्होंने टॉप किया. 

बारहवीं में टॉप आने के कारण इनका कोलकाता के लगभग सभी कॉलेजेस में एडमिशन हो गया था लेकिन कमज़ोर अंग्रेजी के कारण सेंट जेवियर्स कॉलेज में इनका एडमिशन नहीं हो सका. तब लक्ष्मी नारायण मित्तल ने ठान लिया कि वो वहां एडमिशन लेकर ही रहेंगे, अपनी पॉकेट मनी से जैसे तैसे एक अंग्रेजी अखबार खरीदकर उन्होंने पढ़ना शुरू किया. उस अख़बार से हर दिन कुछ शब्द सीखकर वो एक वाक्य बनाते और सेंट जेवियर्स कॉलेज के प्रिंसिपल से जाकर बात करते. उनकी इस लगन को देखकर प्रिंसिपल ने उन्होंने कॉलेज में एडमिशन दे दिया.

तीन साल बाद जब कॉलेज का रिजल्ट आया तो इन्होंने कॉमर्स में कोलकाता यूनिवर्सिटी से टॉप किया. जिसके बाद वही प्रिंसिपल खुद उनके घर आए और सिर्फ 19 साल की उम्र में उन्हें कॉलेज का असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का ऑफर दिया. लेकिन तब इन्होंने प्रिंसिपल को प्रोफेसर बनने से हाथ जोड़कर मना किया और अपने पिता की स्टील मिल को ज्वाइन कर लिया. तब से लेकर आज तक उन्होंने कभी पलट कर पीछे नहीं देखा और आज देश के सबसे बड़े और सफल बिजनेसमैंस की लिस्ट में शामिल हैं.

दुनियाभर की कंपनीज को एक्वायर कर खड़ा किया अपना बिजनेस

लक्ष्मी नारायण मित्तल की सबसे बड़ी बिजनेस स्ट्रेटेजी रही है बर्बाद होती हुई चीजों को संभाल कर आबाद करना. इन्होंने दुनिया भर की ऐसी स्टील कंपनीज को खरीदा जो कि ख़त्म होने की कगार पर थी, जिन्हें देश की सरकारें तक चला पाने में सक्षम नहीं थी. उन कंपनीज को लक्ष्मी नारायण मित्तल ने सस्ते दामों पर खरीदा और अपनी एक्सपर्टीज का इस्तेमाल करके उन्हें मुनाफे की कंपनी में बदल दिया. उनकी अच्छी बात ये थी कभी भी किसी भी एक्वायर की गई कंपनी के एंप्लॉय को निकाला नहीं बल्कि उनकी एक्सपर्टीज का इस्तेमाल कंपनी को बेहतर बनाने के लिए किया.

पिछले 30 सालों भले ही लक्ष्मी नारायण मित्तल लंदन में रहते हैं लेकिन उनके दिल में आज भी भारतीयता और भारतीयों के लिए प्यार बसा हुआ है. भारत के ऐसे ही 52 सफल बिजनेस टायकून्स की कहानी और बिजनेस स्ट्रेटेजीज को डॉ विवेक बिंद्रा अपनी इस “टायकून्स ऑफ इंडिया” की सीरीज में शामिल करने वाले हैं. इस सीरीज के सभी एपिसोड्स को उनके यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है जो देशभर के उन लोगों के लिए बहुत बड़ी लर्निंग है जो बिजनेस के क्षेत्र में अपना नाम बनाना चाहते हैं.

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