तेलंगाना में बीजेपी के लिए बड़ा मौका, ओबीसी राजनीति की प्रयोगशाला बन सकता है राज्य

तेलंगाना की कुल आबादी में ओबीसी समुदाय का हिस्सा 51 प्रतिशत के लगभग है. राज्य में ओबीसी के साथ-साथ दलितों को भी साधने की कोशिश बीजेपी कर रही है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 12, 2023, 04:34 PM IST
  • ओबीसी वर्ग को लुभाने के प्रयास जारी.
  • ओबीसी सीएम बनाने का भी है वादा.
तेलंगाना में बीजेपी के लिए बड़ा मौका, ओबीसी राजनीति की प्रयोगशाला बन सकता है राज्य

नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना को अपनी चुनावी रणनीति की प्रयोगशाला बनाने जा रही है. दरअसल बीजेपी  ओबीसी जनगणना और आरक्षण के विरोधी दलों की चुनावी रणनीति की काट निकाल रही है.अगर बीजेपी की यह रणनीति तेलंगाना में सफल हुई तो पार्टी इसका प्रयोग देश के अन्य चुनावी राज्यों में कर सकती है.

68 प्रतिशत आबादी दलित और ओबीसी
तेलंगाना की कुल आबादी में ओबीसी समुदाय का हिस्सा 51 प्रतिशत के लगभग है. राज्य में ओबीसी के साथ-साथ दलितों को भी साधने की कोशिश बीजेपी कर रही है. दलितों की आबादी राज्य में 17 प्रतिशत के लगभग है. ओबीसी और दलित समुदाय मिलकर राज्य की कुल आबादी का 68 प्रतिशत हिस्सा हो जाता है.

क्या कर रही है बीजेपी?
बीजेपी की रणनीति की बात करें तो वह विपक्ष के जातीय जनगणना की हवा निकालने के लिए देशभर में ओबीसी सर्वे करवाने की योजना बना रही है. वहीं  51 प्रतिशत ओबीसी आबादी का समर्थन हासिल करने के लिए जहां एक तरफ ओबीसी समुदाय के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा रही है, दूसरी तरफ कांग्रेस खासतौर से राहुल गांधी और के चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस को ओबीसी विरोधी पार्टी साबित करने की कोशिश कर रही है.

बड़े दांव लगाने के क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 27 अक्टूबर को ही तेलंगाना के सूर्यापेट में जनसभा को संबोधित करते हुए राज्य के वोटरों से यह वादा कर दिया कि अगर राज्य में पार्टी की सरकार बनती है तो ओबीसी नेता को ही राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा.

मिशन साउथ में जरूरी है तेलंगाना की जीत
दरअसल, कर्नाटक विधान सभा चुनाव में हारने के बाद भाजपा अपने 'मिशन साउथ' को धार देने के लिए तेलंगाना में हर कीमत पर चुनाव जीतना चाहती है. यही वजह है कि अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव लाते हुए भाजपा ने सीधे-सीधे खुलकर जाति आधार पर वोटरों को लुभाना शुरू कर दिया है. बीजेपी लीडरशिप का मानना है कि तेलंगाना की जीत पार्टी के मिशन साउथ को बल दे सकती है और इसका फायदा पार्टी को केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में भी मिल सकता है.

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