मुबंई: भाजपा-शिवसेना के बीच सीधी बातचीत का दौर अब भले खत्म हो चुका हो, लेकिन पार्टियां फिर भी अपनी ओर से कोई कोताही नहीं बरत रहीं. बातचीत तो जारी है सीधी नहीं तो किसी मीडिएटर के सहारे. दोनों पार्टियों के प्रमुखों में फिलहाल सीधे-सीधे कोई भी बातचीत नहीं हो रही. इसका खामियाजा भी दोनों ही दल को भुगतना पड़ रहा है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और संजय राउत के बयानों से एनडीए गठबंधन की गांठें कमजोर होती जा रही हैं.
50-50 फॉर्मूले पर अड़ी शिवसेना
भाजपा-शिवसेना में असल टकराव का कारण है 50-50 फॉर्मूला, जिसमें राज्य में ढ़ाई-ढ़ाई साल तक मुख्यमंत्री पद दोनों ही पार्टियों के पास रखने की बात कही जा रही है. हालांकि सुत्रों की मानें तो भाजपा शिवसेना में पार्टी से बाहर के किसी मीडिएटर के माध्यम से राज्य में सीट बंटवारे को लेकर भी बातचीत जारी है. सूत्रों की मानें तो शिवसेना की मांगें बढ़ती ही जा रही हैं. महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद की मांग पर जम गई शिवसेना को केंद्र सरकार में भी एक मंत्री पद चाहिए. इतना ही नहीं क्षेत्रीय पार्टी को राजस्व, वित्त, शहरी विकास और गृह मंत्रालय में से 2 मंत्रालय समेत 21 मंत्री पद चाहिए. यहां यह बता देना जरूरी है कि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है और तकरीबन इतनी ही सीटों पर हारी भी है.
भाजपा लगातार कर रही है मनाने की कोशिश
भाजपा के सामने समस्या ये है कि पार्टी 105 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद भी शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार बनाने पर मजबूर है. भाजपा ने अपनी ओर से उपमुख्यमंत्री पद के अलावा 16 मंत्रीपद देने की बात कही है. दिलचस्प बात ये है कि भाजपा इस खींचतान को जितनी जल्दी खत्म करने को तत्पर है. इसलिए तो 13 मंत्रीपद देने का फैसला कर चुकी पार्टी अब 16 तक मंत्रीपद देने तक को तैयार है. यहीं नहीं पार्टी ने केंद्र में भी मंत्रीपद देने की शर्त स्वीकार कर ली है. भाजपा आलाकमान ने ये माना कि पार्टी शिवसेना के सदस्य को स्वतंत्र प्रभार का केंद्रीय मंत्री बनाने को तैयार है. इसके अलावा प्रदेश में कृषि मंत्रालय, ग्रामीण विकास और आदिवासी उत्थान मंत्रालय भी शिवसेना को सौंप सकती है.
अगले हफ्ते पेश होगा सरकार बनाने का दावा
इसके अलावा जानकारी यह भी मिली है कि बातचीत इस स्तर पर जारी रहेगी और भाजपा अगले हफ्ते सरकार बनाने का दावा पेश करेगी. दोनों दलों के बीच दबाव बनाने का आलम यह था कि एक-एक कर के भाजपा और शिवसेना के नेता राज्यपाल से मिलते रहे किसी न किसी बहाने से. शिवसेना ने अपनी ओर से दबाव बनाने का कोई मौका भी नहीं छोड़ा. रही-सही कसर सामना पत्रिका से संजय राउत पूरी करा ही रहे हैं.
शरद पवार से मिलेंगी कांग्रेस अध्यक्षा
शिवसेना-भाजपा के इस टकराव और खींचतान में फायदा उठाने को बेताब बैठी कांग्रेस ने शिवसेना को इशारा भी कर दिया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि शिवसेना अगर ऑफर करे तो वे विचार भी कर सकते हैं. वहीं एनसीपी ने पहले ही अपने हाथ खड़े कर लिए हैं. एनसीपी ने कहा है कि वे सरकार का हिस्सा नहीं रहेंगे और मजबूत विपक्ष बनकर ही रहेंगे. इससे एक बात साफ हो चुकी थी शिवसेना के सामने कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनाने का विकल्प लगभग खत्म हो गया है.
खींचतान का फायदा उठाने की तैयारी में कांग्रेस
लेकिन एक सूचना यह भी मिली है कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी अब प्रदेश की राजनीति में दस्तक दे सकती हैं. जानकारी मिली कि सोनिया गांधी एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलना चाहती हैं, क्यों, इसकी पुष्टि फिलहाल नहीं हो सकी है. लेकिन सूत्रों का मानना है कि अध्यक्षा एनडीए गठबंधन की खींचतान का फायदा उठाने की फिराक में हैं. इसके लिए जरूरी है पहले एनसीपी का मान जाना और शायद इसलिए वह अपनी ओर से प्रयास करना चाहती हैं. बता दें कि शरद पवार से कांग्रेस अध्यक्षा के मधुर संबंध रहे हैं. ऐसे में सोनिया गांधी पार्टी के अन्य नेताओं के बजाए खुद ही बात करना उचित समझती हैं.