नई दिल्ली: Jharkhand Chunav 2024: झारखंड में विधानसभा की सभी 81 सीटों पर चुनाव हो चुका है. अब 23 नवंबर को आने वाले नतीजों का इंतजार है. इससे पहले चैनल और सर्वे एजेंसियों ने एग्जिट पोल जारी किए हैं. पोल्स में NDA और INDIA के बीच कड़ा मुकाबला दिखाया जा रहा है. ज्यादातर पोल्स में NDA (भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन) को मामूली बढ़त दिखाई गई है. जबकि कुछ में INDIA (कांग्रेस और JMM समेत कुछ छोटे दलों का गठबंधन) को थोड़ी एज दिखाई गई है. लेकिन सरकार बनने या न बनने का पूरा जिम्मा कांग्रेस के प्रदर्शन पर टिका हुआ है.
हेमंत की किस्मत कांग्रेस के हाथ में
कांग्रेस झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के साथ गठबंधन में है. 81 में से 30 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा है. 2019 में कांग्रेस ने 16 सीटें जीती थीं. लेकिन इस बार एग्जिट पोल्स में कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर आंकी जा रही है. यदि कांग्रेस का प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले गिरता है, तो हेमंत सोरेन के हाथ से सत्ता निकल सकती है. हेमंत सोरेन फिर सरकार बनाएंगे या नहीं, ये कांग्रेस के परफॉर्मेंस से डिसाइड होगा. हेमंत की किस्मत की चाबी कांग्रेस के हाथ में है.
JMM का प्रदर्शन रहेगा जस का तस?
पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि JMM के प्रदर्शन में कुछ खास बदलाव नहीं आने वाला. 2019 के चुनाव में JMM ने 30 सीटें जीती थीं. इस बार भी ज्यादातर एग्जिट पोल्स JMM की सीटें 28-31 के बीच दे रहे हैं. बहुमत पाने के लिए 42 सीटों की जरूरत होगी, जो कांग्रेस के बिना संभव होता नहीं दिख रहा.
JMM के लिए जरूरी कांग्रेस की डबल डिजिट
कुछ एग्जिट पोल्स में कांग्रेस झारखंड में डबल डिजिट में जाती हुई भी नहीं दिख रही है. कांग्रेस को 6 से 9 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. यदि ऐसा होता है तो इस बार INDIA गठबंधन को झारखंड में सत्ता का वनवास झेलना पड़ सकता है. यदि कांग्रेस डबल डिजिट में जाती है तो गठबंधन एक बार फिर सत्ता में आ सकता है.
कांग्रेस ने नहीं दिखाया दमखम
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दमखम के साथ नहीं उतरी. राष्ट्रीय नेताओं के दौरे भी पूरी तैयारी से नहीं हुए. यहां पर पार्टी JMM के नेताओं जैसे हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के भरोसे ही चुनावी जंग लड़ते हुए दिखी. राहुल गांधी के भाषणों में भी झारखंड की स्थानीय मुद्दों की बजाय संविधान बचाओ जैसे पुराने मुद्दे ही नजर आए. कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र भी पहले चरण के चुनाव से ठीक एक दिन पहले यानी 12 मई को जारी किया. इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस ने झारखंड के चुनाव को बहुत हल्के में लिया.
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