नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव को लेकर अब सरगर्मियां तेजी से बढ़ने लगी है. उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी लगभग-लगभग पूरा हो गया है. लेकिन दो सीटों पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि आखिर कांग्रेस कब इस सीट पर अपना पत्ता खोलेगी. रायबरेली और अमेठी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. पिछली बार अमेठी में बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब रही थी लेकिन रायबरेली से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.
लेकिन इस बार अमेठी से तो बीजेपी ने फिर से स्मृति पर दांव चला है लेकिन अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं. जबकि रायबरेली से बीजेपी ने भी अभी तक उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. आइए जानते हैं कि आखिर कांग्रेस की देरी के पीछे क्या रणनीति है?
क्या कांग्रेस की है खास रणनीति
दरअसल, राहुल गांधी को पिछले चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के सामने अपना गढ़ वापस पाने की चुनौती है. राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. जबकि अमेठी और रायबरेली दोनों ही जगह 20 मई को वोटिंग होनी है. ऐसे में कांग्रेस अगर देरी से भी यहां ऐलान करेगी तो उसके पास एक महीने का वक्त प्रचार के लिए होगा.
वायनाड के बाद अमेठी की तैयारी!
पिछली बार राहुल ने अमेठी और वायनाड दोनों ही जगह से चुनाव लड़ा था. दोनों का ऐलान भी शुरू में कर दिया गया था, जिसका नुकसान राहुल को अमेठी में उठाना पड़ा था. अमेठी की जनता को ये मैसेज गया था कि राहुल को यहां से हार का डर है इसलिए वह सुरक्षित सीट पर भी चुनाव लड़ रहे हैं. इसका फायदा बीजेपी को मिला और वो गढ़ तोड़ने में कामयाब रहे थे.
अब इस बार वायनाड में भी राहुल की लड़ाई आसान नहीं होने वाली है. ऐसे में कांग्रेस की ये प्लानिंग हो सकती है कि पहले वायनाड के समीकरण साधने के बाद अमेठी और रायबरेली से ऐलान किया जाए.
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