शुवेंदु का `नंदीग्राम` या फिर ममता का, जानिए इस हॉट सीट की पूरी कहानी
बंगाल चुनाव की हॉट सीट नंदीग्राम में कद्दावर भाजपा नेता शुवेंदु अधिकारी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सीधा मुकाबला है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की हॉट सीट नंदीग्राम से भाजपा की तरफ शुवेंदु अधिकारी ने अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है. शुक्रवार को हल्दिया स्थित एसडीओ कार्यालय में नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद बाहर निकलने पर सुवेंदु अधिकारी ने जय श्रीराम के नारे लगाए.
इस सीट पर अब उनका सीधा मुकाबला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से होगा. बीते बुधवार को ममता बनर्जी जब अपना नामांकन करने नंदीग्राम पहुंची तो उनके पैर में ऐसी चोट लगी कि उन्हें हॉस्पिटल जाना पड़ा. हालांकि इस घटना से चुनाव में एक बार फिर नंदीग्राम चर्चा में आ गया है.
इससे पहले बीते रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बंगाल के ब्रिगेड मैदान के संबोधन में 'दीदी' को भवानीपुर सीट छोड़ने और नंदीग्राम सीट से लड़ने के फैसले पर तीखा प्रहार किया है. उन्होंने मज़ाक के लहजे में 'दीदी' ममता बनर्जी की स्कूटी को भवानीपुर की जगह नंदीग्राम जाने को लेकर व्यंग्य कसा. फिलहाल अब नंदीग्राम से बीजेपी उम्मीदवार बनाए गए शुवेंदु अधिकारी के बारे में जानते हैं.
कौन हैं शुवेंदु अधिकारी?
कांग्रेस के साथ 1995 में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले शुवेंदु 2006 में कंथी दक्षिणी से पश्चिम बंगाल विधान सभा के सदस्य के रूप में टीएमसी से चुने गए. बाद में वह पश्चिम बंगाल सरकार में परिवहन मंत्री बने. 2009 और 2014 में तामलुक निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा में चुने गए.
विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने 28 मई 2016 को लोकसभा से इस्तीफा दे दिया. 2016 में वह नंदीग्राम से पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए थे. इस बार वह बीजेपी से उम्मीदवार हैं.
जानिए अधिकारी परिवार के बारे में?
बंगाल की राजनीति में अधिकारी परिवार की पकड़ किसी से अछूती नहीं है. शुवेंदु के पिता शिशिर अधिकारी की राज्य ही नहीं अपितु केंद्र की राजनीति में भी अच्छी पकड़ रही है. वर्तमान में वो तृणमूल के लोकसभा सांसद है.
शुवेंदु के भाई दिव्येंदु अधिकारी भी तामलुक लोकसभा से तृणमूल के सांसद हैं. जानकारों का कहना है कि ये शुवेंदु अधिकारी का ही जलवा है जिसकी बदौलत ममता बनर्जी सूबे की सबसे ताकतवर मुखिया बनीं. नंदीग्राम से ममता ने लेफ्ट के विरुद्ध ऐसा बिगुल बजाया कि तीन से अधिक दशक का लेफ्ट की किला ढह गया. अब तो आगामी चुनाव में भी वापसी की राह मुश्किल होते हुई दिख रही है.
ये भी आश्चर्य से कम भरा नहीं है कि पिता और भाई के तृणमूल में होने के बावजूद शुवेंदु बीजेपी से ममता को चुनौती दे रहे हैं. उन्होंने इतना कहा है कि अगर वो इस सीट पर कमल नहीं खिला पाएं तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे.
नंदीग्राम का संग्राम
नंदीग्राम भारत के पश्चिमी बंगाल राज्य के पूर्व मेदिनीपुर जिला का एक ग्रामीण क्षेत्र है. यह क्षेत्र हल्दिया डेवलपमेंट अथॉरिटी के तहत आता है. नंदीग्राम पहुँचने के लिए सीधे रेलगाड़ी की कोई व्यवस्था नहीं है और सड़कें भी खराब हैं. यहां का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन मोगराजपुर है.
हल्दिया से नौका लेकर भी नंदीग्राम पहुंचा जा सकता है (हालांकि वर्तमान में यह सुविधा हल्दिया नगरपालिका द्वारा स्थगित की गई है). यह नौका सेवा नंदीग्राम के किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए अति महत्त्वपूर्ण यातायात साधन है क्योंकि इसी के जरिए वे हल्दिया बाजार पहुंच कर वहां अपना माल बेचते हैं.
फिलहाल नंदीग्राम 2007 में चर्चा में आया था. तत्कालीन पश्चिम बंगाल की सरकार ने सलीम ग्रुप को 'स्पेशल इकनॉमिक जोन' नीति के तहत, नंदीग्राम में एक 'रसायन केन्द्र' (केमिकल हब) की स्थापना करने की अनुमति प्रदान करने का फैसला किया.
ग्रामीणों ने इस फैसले का प्रतिरोध किया जिसके परिणामस्वरूप पुलिस के साथ उनकी मुठभेड़ हुई जिसमें 14 ग्रामीण मारे गए और पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगा. कई लेखकों, कलाकारों, कवियों और शिक्षा-शास्त्रियों ने पुलिस फायरिंग का कड़ा विरोध किया जिससे परिस्थिति पर अन्य देशों का ध्यान आकर्षित हुआ.
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इस घटना ने बंगाल की राजनीति के सारे सियासी समीकरण ही पलट दिए. इसके बाद के चुनाव में ममता बनर्जी ने तीन दशक लंबे वाम मोर्चे की सरकार को उखाड़ दिया और तब से वो सत्ता पर काबिज हैं.
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