राजस्थान चुनाव: प्रत्याशियों के सेलेक्शन में सोशल इंजीनियरिंग अपना रहीं BJP-कांग्रेस, जाट-राजपूतों को फायदा!

दोनों पार्टियों के टिकट बंटवारे में जाट समुदाय को ज्यादा महत्व दिया गया है. बीजेपी ने अब तक 21 (17 फीसदी) टिकट जाट नेताओं को दिए हैं, जबकि कांग्रेस ने 15 (20 फीसदी) टिकट दिए हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 28, 2023, 09:01 PM IST
  • बीजेपी-कांंग्रेस की लिस्ट में सोशल इंजीनियरिंग.
  • जाट समुदाय को दी अब तक सबसे ज्यादा सीट.
राजस्थान चुनाव: प्रत्याशियों के सेलेक्शन में सोशल इंजीनियरिंग अपना रहीं BJP-कांग्रेस, जाट-राजपूतों को फायदा!

जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन के लिए सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी दोनों ही सोशल इंजीनियरिंग का ध्यान रख रहे हैं. बीजेपी और कांग्रेस ने अब तक दो लिस्ट जारी की हैं. जहां बीजेपी ने 124 प्रत्याशी उतारे हैं तो वहीं कांग्रेस ने 76 नामों की घोषणा की है. 

दोनों पार्टियों के टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग
दोनों पार्टियों के टिकट बंटवारे में सोशल इंजीनियरिंग दिख रही है. एक समाचार एजेंसी ने पॉलिटिकल एक्सपर्ट के हवाले से कहा है कि दोनों पार्टियों की ओर से जाट समुदाय को ज्यादा महत्व दिया गया है. दोनों की लिस्ट में जाट समुदाय को सबसे ज्यादा तवज्जो दी गई है. बीजेपी ने अब तक 21 (17 फीसदी) टिकट जाट नेताओं को दिए हैं, जबकि कांग्रेस ने 15 (20 फीसदी) टिकट दिए हैं.

गुर्जर समुदाय को लगभग समान सीटें मिलीं
वहीं बीजेपी ने राजपूत समुदाय को लगभग 10 प्रतिशत टिकट दिए हैं और कांग्रेस ने केवल 5 प्रतिशत को टिकट दिए हैं. हालांकि, कांग्रेस के करीब 125 टिकट अभी घोषित होने बाकी हैं. ऐसे में भविष्य में इन समुदायों के टिकट बढ़ सकते हैं. दिलचस्प बात यह है कि दोनों पार्टियों की ओर से लगभग बराबर संख्या में टिकट गुर्जर उम्मीदवारों को दिए गए हैं. अब तक बीजेपी से पांच और कांग्रेस से चार गुर्जर उम्मीदवारों को टिकट मिला है.

क्या कहते हैं पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स
पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि सभी सीटों पर टिकट देने का मुख्य आधार जाति है. पार्टियां इलाके के जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर ही टिकट देती हैं. लेकिन, कभी-कभी एक परिवार का प्रभाव या ध्रुवीकरण भी महत्वपूर्ण फैक्टर होते हैं.

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