मुंबई: शिवसेना ने शायद जमीनी हकीकत समझ ली है. महाराष्ट्र चुनाव परिणाम आने के कई दिन बाद तक जारी शिवसेना के दांव पेंच अब थमते हुए दिखाई दे रहे हैं. शिवसेना ने ना केवल अपना मुख्यमंत्री बनाने की जिद से किनारा कर लिया है, बल्कि अपने विधायकों की सरकार बनाने की मांग के आगे झुकने के लिए भी तैयार हो गई है. इस बात के तीन अहम संकेत हैं-
1. मातोश्री से हटाए गए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करने वाले पोस्टर
शिवसेना ने भाजपा के साथ सरकार बनाने का मन बना लिया है. इसके लिए उसने आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की कवायद बंद कर दी है. इस बात का सबसे प्रबल संकेत तब मिला, जब ठाकरे परिवार के निवास 'मातोश्री' के बाहर लगे हुए होर्डिंग्स हटा लिए गए. ये कार्रवाई बीएमसी ने की है, जिसमें शिवसेना का वर्चस्व है. इससे संदेश साफ है कि आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग से शिवसेना शायद अब किनारा कर चुकी है.
Mumbai: Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) removes hoardings outside Matoshree (Thackeray residence) which read 'CM Maharashtra only Aditya Thackeray.' #Maharashtra pic.twitter.com/obRMx60OwO
— ANI (@ANI) October 31, 2019
दरअसल भाजपा ने भी बेहद कड़े शब्दों में यह साफ कर दिया कि देवेन्द्र फडणनवीस ही अगले पांच सालों के लिए मुख्यंमत्री होंगे. जिसके बाद शिवसेना को यह स्पष्ट संदेश मिल गया.
इसके अलावा शिवसेना यह भी जानती है कि अगर उसने कांग्रेस या एनसीपी के सहयोग के कुछ दिनों या महीनों के लिए आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनवा भी लिया तो उसकी आगे की राजनीति पर इसका बेहद बुरा असर पड़ेगा. भाजपा के साथ जुड़े रहकर शिवसेना को अहम मंत्रालय मिल सकते हैं और उसके पास आगे राजनीतिक बढ़त हासिल करने का मौका भी बचा रहेगा.
इसके अलावा वरिष्ठ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी यह साफ तौर पर कह दिया था कि एनसीपी के शिवसेना को समर्थन देने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
56 सीटें जीतने वाली शिवसेना ने अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए हर जोड़ तोड़ करके देख लिया है. उसे बिना किसी सहयोग के अपना मुख्यमंत्री बनाने में सफलता नहीं मिल सकती है.
2. सरकार गठन पर किसी तरह का बयान देने से बचे आदित्य ठाकरे
इसके अलावा आदित्य ठाकरे ने स्वयं को महाराष्ट्र में सरकार बनवाने की किसी भी कवायद से खुद को दूर कर लिया है. आदित्य ठाकरे अपने सभी 56 विधायकों को साथ लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे. लेकिन इस मुलाकात के दौरान उन्होंने किसानों की समस्या पर गवर्नर से चर्चा की. उन्होंने बाढ़ प्रभावित महाराष्ट्र के किसानों के लिए केन्द्र सरकार से मुआवजे की मांग की.
आदित्य ठाकरे ने सरकार गठन की बात अपने पिता और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर टाल दी. इसके अतिरिक्त आदित्य ठाकरे ने अपनी तरफ से एकनाथ शिंदे का नाम प्रस्तावित करके एकनाथ शिंदे को शिवसेना विधायक दल का नेता बनवा दिया. जिससे लगता है कि शिवसेना अपने विधायकों में किसी तरह के असंतोष को पनपने का मौका नहीं देना चाहती. इसीलिए आदित्य ठाकरे ने अनुभवी एकनाथ शिंदे को एक बार फिर से विधानसभा में पार्टी की कमान सौंप दी और स्वयं ही मुख्यंत्री पद की रेस से बाहर हो गए.
दरअसल शुरुआत में शिवसेना इस बात पर अड़ी हुई थी कि भाजपा 50-50 के फॉर्मूले पर चले और ढाई-ढाई साल के लिए दोनों दलों का मुख्यमंत्री बनाने की बात लिखित आश्वासन के तौर पर दे। लेकिन भाजपा का स्टैण्ड है कि सबसे ज्यादा सीटें उसने जीती हैं, इसलिए शिवसेना को सीएम पद देने का सवाल ही नहीं है.
हालांकि भाजपा शिवसेना के साथ उप मुख्यमंत्री के साथ 13 मंत्रिपद साझा करने के लिए तैयार है. हो सकता है कि इसपर दोनों दलों में बात बन जाए. एनडीए में शामिल रामदास अठावले भी शिवसेना से उप मुख्यमंत्री पद लेकर संतोष करने के लिए कह चुके हैं.
3. बड़बोले राउत को दिखाया आईना
शिवसेना और भाजपा के 50-50 फॉर्मूले पर सबसे ज्यादा जोर दोपहर सामना के संपादक संजय राउत दे रहे थे. उन्होंने इसके लिए लगातार कई लेख लिखकर दबाव बनाया था. जिसकी वजह से भाजपा शिवसेना के रिश्तों में तल्खी आती जा रही थी.
सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक इसके लिए संजय राउत को मातोश्री में तलब किया गया था और उनसे कड़े शब्दों में अपनी इस मुहिम से किनारा करने के लिए कहा गया. जिसके बाद राउत बुझे मन से मातोश्री से बाहर आते हुए दिखे.
शिवसेना के शीर्ष नेतृत्व से संजय राउत के मनमुटाव का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि गुरुवार को राउत ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की. हालांकि उन्होंने इसे दिवाली की मुलाकात करार दिया. लेकिन यह मुलाकात दिवाली के बाद हुई और इसमें महाराष्ट्र की राजनीति पर चर्चा भी हुई. जिससे यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि राउत शायद अपना अलग रास्ता तलाश कर रहे हैं.
Sanjay Raut, Shiv Sena: Met Nationalist Congress Party (NCP) chief Sharad Pawar at his residence today. I had come to wish him on the occasion of Diwali. We also discussed the politics in Maharashtra. (file pic) pic.twitter.com/AUuxC5WIRu
— ANI (@ANI) October 31, 2019