Lok Sabha Election 2024: 5 दिन में 5 नए मुद्दे... क्या दूसरे चरण में BJP को फायदा देगी ये बदली हुई स्ट्रेटेजी?

Lok Sabha Election Second Phase Voting: पहले चरण की वोटिंग के बाद भाजपा ने अपने चुनावी मुद्दे बदल दिए. अब पार्टी पहले से ज्यादा आक्रमक अंदाज में नजर आ रही है. दूसरे चरण की 88 सीटों पर पार्टी का फोकस है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Apr 24, 2024, 03:05 PM IST
  • दूसरे चरण से पहले उठा मंगलसूत्र का मुद्दा
  • पूर्व PM मनमोहन का बयान भी चर्चा में आया
Lok Sabha Election 2024: 5 दिन में 5 नए मुद्दे... क्या दूसरे चरण में BJP को फायदा देगी ये बदली हुई स्ट्रेटेजी?

नई दिल्ली: Lok Sabha Election Second Phase Voting: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के लिए आज प्रचार का अंतिम दिन है. भाजपा ने बेहद आक्रमक तरीके से दूसरे चरण की 88 सीटों के लिए प्रचार किया है. इसकी एक बड़ी वजह ये भी रही कि पिछले चरण में वोटिंग परसेंटेज में गिरावट नजर आई. साथ ही कई इलाकों में स्थानीय मुद्दे हावी रहे. राजनीति विश्लेषकों ने इसका सीधा नुकसान भाजपा को बताया. यही कारण है कि दूसरे चुनाव में भाजपा ने 360 डिग्री तक मुद्दे बदल दिए और पार्टी एक बार फिर अपने पुराने अंदाज में लौट आई.

पहले चरण में BJP के थे ये मुद्दे
पहले चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मोदी की गारंटी' का मुद्दा उठाया. इसमें उन्होंने अपने अलग-अलग कार्यों को जनता के सामने रखा और जनता को यह भरोसा दिया कि मोदी की गारंटी पूरा होने की गारंटी है. पहले चरण में 'मोदी का परिवार' कैंपेन भी भाजपा ने खूब जोर-शोर से चलाया. भाजपा के मंत्रियों से लेकर प्रत्याशियों ने जनता में ये माहौल बनाना चाहा कि हम सब पीएम के परिवार के सदस्य हैं. NDA ने अपने '400 पार' के नारे को भी पब्लिक के सामने रखा, ताकि चुनाव से पहले ही लोगों के मन में भाजपा के प्रति जीत की धारणा बन जाए और स्विंग वोटर पार्टी के पक्ष में आ जाए.

दूसरे चरण में BJP को बदलनी पड़ी रणनीति
हालांकि, पहले चरण का फीडबैक मिलने के बाद भाजपा को अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ी. इसके बाद भाजपा फिर अपने आक्रमक अंदाज में लौटी. 20 अप्रैल से 24 अप्रैल (दूसरे चरण के चुनाव प्रचार की अंतिम तिथि) तक भाजपा ने ध्रुवीकरण की रणनीति अपनाई और हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को प्रभावी ढंग से जनता के सामने रखना शुरू किया. 5 दिन के भीतर 5 मुद्दों को भाजपा ने चुनावी रैलियों में उठाया.

मंगलसूत्र
यह विवाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान के बाद शुरू हुई. राहुल ने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आई तो देश में लोगों के बीच धन के वितरण का पता लगाने के लिए एक वित्तीय और संस्थागत सर्वेक्षण कराएगी. भाजपा ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा. खुद PM बोले- यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो वह देश की संपत्ति 'घुसपैठियों' और 'ज्यादा बच्चे पैदा' करने वालों में बांट देगी. मां-बहनों के सोने तक का हिसाब करेंगे. फिर उसका वितरण कर देंगे. ये आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे.

अल्पसंख्यक
मंगलसूत्र विवाद से जोड़कर ही भाजपा ने पूर्व PM मनमोहन सिंह के एक बयान को पेश किया. PM मोदी ने कहा कि कांग्रेस आपकी संपत्ति का सर्वे कराएगी. यह उन्हें दे देगी, जिनके लिए मनमोहन की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. ये अर्बन नक्सली सोच है. इस पर कांग्रेस सफाई देती रही कि PM मनमोहन सिंह के बयान को गलत तरीके से पेश कर रहे है.
 
हनुमान
हिंदुत्व की पिच पर लौटते हुए PM ने जयपुर में हुई एक सभा में कांग्रेस को घेरा. पीएम ने कहा कि आज हनुमान जयंती पर आपसे बात करते हुए मुझे कुछ दिन पहले की एक तस्वीर भी याद आ रही है. कुछ दिन पहले कांग्रेस के शासन वाले राज्य कर्नाटक में एक दुकानदार को इसलिए बुरी तरह पीटा गया, क्योंकि वह अपनी दुकान में हनुमान चालीसा सुन रहा था. कांग्रेस राज में हनुमान चालीसा सुनना भी गुनाह है.

आतंकवाद
आतंकवाद के मुद्दे पर भाजपा आक्रमक रही है. यही कारण है कि बीते चुनाव में पुलवामा की सहानुभूति भाजपा के पक्ष में गई. इस बार भी PM मोदी इस मुद्दे को उठा रहे हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ के सरगुजा में कहा कि कांग्रेस हिंसा फैलाने वालों का समर्थन कर रही है. उन्हें शहीद बता रही है. कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता ने आतंकवादियों के मारे जाने पर आंसू बहाए हैं. इन्हीं करतूतों के चलते कांग्रेस देश का भरोसा खो चुकी है.

विरासत टैक्स
दूसरे चुनाव से ठीक पहले इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स (Inheritance Tax) की वकालत कर दी. भाजपा ने तुरंत इस मुद्दे को उछाला और कांग्रेस को पित्रोदा के बयान से किनारा करना पडा. PM मोदी ने इस पर कहा- कांग्रेस की लूट, जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी. देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सैम पित्रोदा के बयान से कांग्रेस पूरी तरह एक्सपोज हो गई है. कांग्रेस ने अपना मकसद स्पष्ट कर दिया कि वे जनता की संपत्ति का सर्वे करेंगे और उनकी निजी संपत्ति को सरकारी खजाने में डालेंगे.

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