नई दिल्ली: अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद सियासी महकमे में हलचल तेज हो चुकी है. एक तरफ नगर निकाय चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं, वहीं दूसरी ओर अब गाजीपुर में सांसद के चुनाव पर भी सबकी निगाहें जा रही है. अफजाल की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद गाजीपुर बीजेपी के जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने ज़ी हिन्दुस्तान से खास बातचीत की और कई सवालों के जवाब दिए.
ज़ी हिन्दुस्तान का सवाल- अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई है, क्या गाजीपुर में बीजेपी इससे मजबूत होगी?
भानु प्रताप सिंह का जवाब- भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे अधिक कार्यकर्ताओं वाली पार्टी है. गाजीपुर में बीजेपी पहले से ही काफी मजबूत है. यहां कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है. फिलहाल हमारा फोकस नगर निकाय चुनाव पर है, हम मजबूती के साथ लड़ रहे हैं और निश्चित तौर पर हम यहां जीत हासिल करेंगे. अफजाल अंसारी के खिलाफ जो कार्रवाई हुई है, वो उनके कर्मों का फल है. मुख्तार अंसारी पर हुई कार्रवाई या फिर अफजाल अंसारी के खिलाफ हुई कार्रवाई उनके किए हुए का नतीजा है.
ज़ी हिन्दुस्तान का सवाल- अगर आप कह रहे हैं कि गाजीपुर में बीजेपी मजबूत है तो फिर बीते लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में सभी सीटों पर आपकी हार क्यों हुई?
भानु प्रताप सिंह का जवाब- हम गाजीपुर में मजबूत हैं, इस में कोई दो राय नहीं है. रही बात लोकसभा चुनाव की तो ये बात हर कोई जानता है कि मनोज सिन्हा जी की हार गाजीपुर की हार है. सपा बसपा के 'ठगबंधन' जो कि लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद टूट गया. उस ठगबंधन के चलते हमें हार का सामना करना पड़ा था. मनोज सिन्हा जी ने 5 साल जो-जो काम किया वो गाजीपुर के इतिहास में कभी नहीं हुआ. गाजीपुर की जनता उनसे बहुत प्यार करती है. चुनाव में उन्हें हार भले ही मिली थी, मगर उन्हें 2014 की तुलना में अधिक वोट मिले थे.
ज़ी हिन्दुस्तान का सवाल- मुख्तार और अफजाल अंसारी के भाई ने सिबगतुल्लाह अंसारी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार उन लोगों को निशाना बना रही है, जो सरकार को कमजोर कर सकता है. क्या बीजेपी को अफजाल अंसारी से डर लगता है?
भानु प्रताप सिंह का जवाब- अपराधियों को उनके किये सजा हर हाल में मिलती है. अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी की करनी का नतीजा है, जो उन्हें अदालत ने ये सजा दी. बीजेपी कभी गलत का साथ नहीं देती है. बीजेपी को छोड़कर लगभग यूपी की हर पार्टी के साथ अफजाल और मुख्तार जुड़े रहे, लेकिन बीजेपी में ऐसे अपराधियों की कोई जगह नहीं है.
ज़ी हिन्दुस्तान का सवाल- अफजाल अंसारी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई है, यदि चुनाव होता है तो बीजेपी का चेहरा कौन होगा?
भानु प्रताप सिंह का जवाब- बीजेपी का चेहरा कौन होगा, ये तो पार्टी आलाकमान ही तय करेगा. मनोज सिन्हा जी को गाजीपुर की जनता बेहद प्यार करती है, वो अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल हैं और संवैधानिक पद पर बैठे हैं. जेपी नड्डा जी, योगी आदित्यनाथ जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी जो फैसला गाजीपुर के पक्ष में लेंगे वही होगा.
ज़ी हिन्दुस्तान का सवाल- तो क्या मनोज सिन्हा को बीजेपी वापस गाजीपुर ला सकती है?
भानु प्रताप सिंह का जवाब- इसके बारे में कुछ भी कहना गलत होगा, क्योंकि मैंने बताया आपको कि वो संवैधानिक पद पर बैठे हैं. पार्टी आलाकमान का जो फैसला होगा, वो गाजीपुर की जनता को स्वीकार होगा. लोकसभा उपचुनाव होता है, जो निश्चित तौर पर बीजेपी की प्रचंड जीत होगी. अब विपक्ष का कोई समीकरण यहां काम नहीं आने वाला है.
जहां भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने ये दावा किया कि यदि गाजीपुर में लोकसभा उपचुनाव होता है तो बीजेपी की जीत पक्की है. वहीं अब आपको गाजीपुर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण समझाते हैं.
गाजीपुर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
गाजीपुर जनपद की अनुमानित जनसंख्या साल 2020 में लगभग 41 लाख 94 हजार 443 आंकी जा रही है, जिसमें लगभग 21 लाख 49 हजार पुरुष और 20 लाख 45 हजार महिलाएं हैं.
यादव- 3.75 से 4 लाख
हरिजन / दलित - 3.50 से 4 लाख
क्षत्रिय - 1.75 से 2 लाख
मुस्लिम - 1.50 से 1.75 लाख
पंडित - 80 से 1 लाख
भूमिहार - लगभग 50 हजार
बनिया - लगभग 1 लाख
अन्य जातियां - 50 हजार
राजभर - 75 हजार से 1 लाख
बिंद - 1.50 से 1.75 लाख
कुशवाहा - 1.50 से 1.75 लाख
अन्य अति पिछड़ी जाति - 3 लाख
बता दें, गाजीपुर जनपद की सीमाएं यूपी के 6 जनपदों के अलावा बिहार के बक्सर जनपद से सटी हुई हैं, इनमें यूपी के बलिया, चंदौली, जौनपुर, आजमगढ़, वाराणसी और मऊ जिले शामिल हैं. गाजीपुर जिले में 7 तहसीलें और 16 ब्लॉक हैं. यहां 7 विधानसभाएं हैं जिनमें सैदपुर, जखनियां, सदर, जंगीपुर, जमानियां, मुहम्मदाबाद और जहूराबाद हैं. गाजीपुर लोकसभा में 5 विधानसभाएं सैदपुर, जखनियां, सदर, जंगीपुर और जमानियां हैं, जबकि दो विधानसभाएं मुहम्मदाबाद और जहूराबाद बलिया लोकसभा में आती हैं.
गाजीपुर में कौन कब जीता लोकसभा चुनाव?
लोकसभा चुनाव 2019- अफजाल अंसारी (बसपा)
लोकसभा चुनाव 2014- मनोज सिन्हा (भाजपा)
लोकसभा चुनाव 2009- राधे मोहन सिंह (सपा)
लोकसभा चुनाव 2004- अफजाल अंसारी (सपा)
लोकसभा चुनाव 1999 - मनोज सिन्हा (भाजपा)
लोकसभा चुनाव 1998 - ओमप्रकाश सिंह (सपा)
लोकसभा चुनाव 1996 - मनोज सिन्हा (भाजपा)
लोकसभा चुनाव 1991 - विश्वनाथ शास्त्री (सीपीआई)
लोकसभा चुनाव 1989 - जगदीश कुशवाहा (निर्दलीय)
लोकसभा चुनाव 1984 - जैनुल बशर (कांग्रेस-आई)
लोकसभा चुनाव 1980- जैनुल बशर (कांग्रेस-आई)
लोकसभा चुनाव 1977 - गौरी शंकर राय (जनता पार्टी)
लोकसभा चुनाव 1971 - सरजू पांडेय (सीपीआई)
लोकसभा चुनाव 1967 - सरजू पांडेय (सीपीआई)
लोकसभा चुनाव 1962 - विश्वनाथ सिंह, गहमरी (कांग्रेस)
लोकसभा चुनाव 1957 - हर प्रसादसिंह (कांग्रेस)
लोकसभा चुनाव 1952 - हर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)
आपको बता दें, 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज सिन्हा को जीत हासिल हुई थी, जिसके बाद उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार में उनके रेल राज्य मंत्री बनाया गया था. मंत्रिमंडल के विस्तार में उन्हें संचार मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था. उन्होंने अपने कार्यकाल में गाजीपुर में रेलवे और अन्य क्षेत्रों में कई विकास कार्य किए थे. गाजीपुर में लोकसभा उपचुनाव होता है, तो इस बार सपा बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में बीजेपी को इस सीट पर वापस पाने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. बसपा के लिए अफजाल की सदस्यता जाना बड़ा झटका है. वहीं बीजेपी के लिए जिले में अपनी जमीन मजबूत करने का ये बड़ा मौका है. सातों विधानसभा सीट पर बीजेपी को करारी हार झेलनी पड़ी थी. ऐसे में देखना ये होगा कि बीजेपी इस सीट पर किस पर भरोसा जताएगी. मनोज सिन्हा फिलहाल जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल हैं. ऐसे में उनकी जगह कौन इतना प्रभावशाली नेता हो सकता है, जिसपर भाजपा भरोसा करेगी.
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