असम में जन्मी पाकिस्तानी गायिका नय्यारा नूर का हुआ निधन, 'बुलबुल-ए-पाकिस्तान' का मिला था सम्मान

पाकिस्तानी गायिका नय्यारा नूर (Nayyara Noor) ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. इस दुखद खबर को सुनकर उनके चाहने वालों का दिल टूट गया है. बता दें गायिका का जन्म भारत के असम राज्य में हुआ था.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 21, 2022, 01:05 PM IST
  • पाकिस्तानी गायिका नय्यारा नूर का हुआ निधन
  • 71 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
असम में जन्मी पाकिस्तानी गायिका नय्यारा नूर का हुआ निधन, 'बुलबुल-ए-पाकिस्तान' का मिला था सम्मान

नई दिल्ली: पाकिस्तानी सिंगर नय्यारा नूर (Nayyara Noor) के फैन्स के लिए एक दिल टूटने वाली खबर आई है. उनकी लोकप्रिय गायिका नय्यारा नूर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. वह 71 साल की थी. नय्यारा सिर्फ पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में लोकप्रिय गायिका थी. नय्यारा के निधन पर सभी लोग सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

गुवहाटी में हुआ था जन्म

नय्यारा का जन्म 1950 में असम के गुवाहाटी में हुआ था. उनके पिता एक व्यापारी थे. अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए वो अपने परिवार के साथ अमृतसर से आकर असम में बस गए थे. नय्यारा के पिता 'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग' के सक्रिय सदस्य में से एक थे. उन्होंने 1947 के भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले पाकिस्तान के कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्ना के असम दौरों के दौरान मेजबानी की थी.

बंटवारे के बाद नय्यारा अपने भाई-बहनों और मां के साथ भारत से निकलकर पाकिस्तान के लाहौर में जाकर रहने लगी थीं, पर उनके पिता संपत्ति के कारण 1993 तक भारत में रहे.

बचपन से ही संगीत प्रेमी थी गायिका

नय्यारा को बचपन से ही गाने का बहुत शौक था. वह भजन गायिका कानन देवी और ग़ज़ल गायिका बेगम अख़्तर को बहुत पसंद करती थी. नय्यारा ने गायकी में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं प्राप्त किया था. गायन के क्षेत्र में उनका आगमन महज इत्तेफाक था.

सन् 1968 में लाहौर के नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स में एनुअल इवेंट पर आयोजिक एक कार्यक्रम में वहां के प्रोफेसर ने इन्हें गाते सुना. जिसके बाद उन्होंने नय्यारा नूर से रेडियो पाकिस्तान के कार्यक्रमों के लिए गाने का आग्रह किया.

1971 में मिला पहला मौका

सन् 1971 में नय्यारा को पाकिस्तानी टेलिविजन पर पहली बार गाने का मौका मिला था. इसके बाद उन्होंने फिल्म 'घराना' (1973) और 'तानसेन' से प्लेबैक सिंगर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. नय्यारा को उनके स्तरीय गायन के लिए पाकिस्तान में राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में तीन बार गोल्ड मेडल मिल हो चुका है. इसके साथ ही उन्हें फिल्म घराना (1973) के लिए पाकिस्तान के निगार पुरस्कार से भी दिया जा चुका है.

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