जिस चाबी वाले ने सुशांत के कमरे का ताला तोड़ा था, उसने किया बहुत बड़ा खुलासा
सुशांत के कमरे का ताला खोलने वाले ने ज़ी हिन्दुस्तान पर बड़ा खुलासा किया है. चाबी वाले ने 14 जून की सारी बातें बताई. चाबी वाले ने ये भी बताया कि मुंबई पुलिस ने उससे कोई पूछताछ नहीं की है..
मुंबई: 14 जून को सुशांत के सुसाइड करने के बाद जिस चाबी वाले ने उनके कमरे का दरवाजा खोला था, उसने Zee हिन्दुस्तान के साथ हुई बातचीत में बड़ा खुलासा किया है. चाबी वाले ने 4 जून की पूरी कहानी बताई है. चाबी वाले ने कहा कि 14 जून को 1 बजकर 5 मिनट पर उसे लॉक खोलने के लिए सिद्धार्थ पिठानी का कॉल आया था.
चाबी वाले ने ZEE हिन्दुस्तान को बताया सच
इसी कड़ी में आपको ज़ी हिन्दुस्तान से Exclusive बातचीत के बारे में सबकुछ बताते हैं. हमसे करते हुए चाबी वाले ने 14 जून को क्या क्या हुआ था, ये सबकुछ बता दिया.
चाबी वाला -
"14 जून को मुझे एक बज के पांच मिनट पर कॉल आया कि दरवाज़ा लॉक हो गया है. अंदर कोई सो रहा है, काफी देर से फोन नहीं उठा रहा है. आप जल्दी से जल्दी आ जाइए, उन्होंने मुझे कॉल किया."
चाबी वाला -
"नाम तो मुझे नहीं पता, उस समय मैं जानता नहीं था, पहचानता नहीं था, कौन है क्या है. मुझे नहीं मालूम था. अभी मीडिया में नाम आ रहा है तो मुझे पता चला कि उसका नाम सिद्धार्थ पिठानी है. उन्होंने कहा कि दरवाजा अंदर से खोल नहीं रहे हैं और फोन करने पर फोन भी नहीं उठा रहे हैं. तो मैंने कहा ठीक है आप अपना पता और जो लॉक खोलना है उसका फोटो सेंड करो, तो उन्होंने लॉक का फोटो मुझे WhatsApp पर भेजा. उन्होंने पहले दूसरे लॉक का फोटो भेजा. मैंने कहा ये नहीं चलेगा, जो मेन लॉक ओपन करना है उसका फोटो भेजो, तो उन्होंने उसका फोटो WhatsApp किया. फोटो देखकर मैंने बोला ठीक है मैं आ जाता हूं, संडे का दिन था. मैं और मेरा भाई वहां चले गए. वहां जाने के बाद हम छठे माले पर गए. हमने वहां जाकर डोर बेल बजायी. फिर उन्होंने हमें लॉक बताया कि ये लॉक है, तो मैंने कहा ठीक है. मैंने टूल्स निकाले अभी ट्राई कर हा था, तो उन्होंने कहा कितना टाइम लगेगा. मैंने कहा कि कम्प्यूटराइज़ड लॉक है. इसमें समय लगता है, उन्होंने कहा नहीं जल्द से जल्द करो. क्योंकि अंदर जो शख्स है वो दरवाज़ा नहीं खोल रहा है और फोन भी नहीं उठा रहा. तो मैंने कहा लॉक तोड़ना पड़ेगा, उन्होंने कहा चलेगा. तो मैंने अपने स्क्रूडाइवर, हथौड़ी से लॉक तोड़ दिया. लॉक तोड़ने के बाद मैंने लॉक को घुमाया और उपर हैंडल को हाथ लगाया. जैसे दरवाज़ा थोड़ा सा खोला तो उन्होंने कहा बस आप काम छोड़ दो. आप अपने टूल्स उठाओ और चले जाओ."
चाबी वाला -
"मैं जब हथोड़े से मार रहा था तो वो कान लगाकर बार बार सुन रहे थे कि कोई अंदर से खोलेंगे तो नहीं. उन्होंने मुझे कहा था आप हथौड़ी से मार रहे हो आवाज़ आ रही है, तो शायद उठ जाएंगे. अगर वो अंदर से खोल देंगे, तो तुम काम छोड़ देना. मैं जब हथोड़े से मार रहा था तो वो बार बार कान लगाकर सुन रहे थे कि अंदर से आवाज़ आ रही है या नहीं, बार बार सुन रहे थे. कम से कम तीन-चार बार उन्होंने कान लगाकर सुना कि अंदर से आवाज़ आ रही है या नहीं. मतलब वो सुनना चाह रहे थे की कोई आवाज़ आ रही है या नहीं."
रिपोर्टर का सवाल- उस वक्त वहां कितने लोग थे?
चाबी वाला -
"उस वक़्त कमरे में 3-4 लोग मौजूद थे."
रिपोर्टर का सवाल- क्या कुछ पूछने के लिए पुलिस का कोई आया था?
चाबी वाला -
"नहीं आया,.."
रिपोर्टर का सवाल- क्या CBI वाले आपसे पूछताछ करेंगे तो आप सबकुछ बता देंगे?
चाबी वाला -
"हां सब कुछ बता देंगे"
मतलब साफ है कि मुंबई पुलिस ने जांच के नाम पर केस को सिर्फ गोल-गोल घुमाया है. ज़ी हिन्दुस्तान पहले दिन से ये सवाल उठाता रहा है कि चाबी वाले से पूछताछ होनी चाहिए, पोस्टमार्टम करने वाले 5 डॉक्टरों से सवाल पूछना चाहिए. लेकिन मुंबई पुलिस की लापरवाही का ही नतीजा है कि इस मामले की जांच के लिए CBI की टीम लगानी पड़ी.
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