Youtube पर धूम मचा रहे हैं Manoj Bajpayee, पूछ रहे हैं बंबई में का बा?

मनोज वाजपेयी ने एक रिबेल रैपर की भूमिका में खुद को बिल्कुल खुला छोड़ दिया है और इस तरह वह उन लाखों मजदूरों की इमेज बना लाने में सफल हो गए हैं, जिनके लिए मुंबई ख्वाब सच करने का शहर है. जो दो जून की रोटी के लिए यहां आते हैं. आप भी सुनिए बंबई में का बा?

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 12, 2020, 12:59 PM IST
    • लॉकडाउन में मशहूर निर्देशक अनुभव सिन्हा ने निर्देशित किया, बंबई में का बा रैप
    • बलिया के डॉ. सागर ने दिए हैं रैप सांग को शब्द, फैन्स मनोज वाजपेयी को कर रहे हैं पसंद
Youtube पर धूम मचा रहे हैं Manoj Bajpayee, पूछ रहे हैं बंबई में का बा?

नई दिल्लीः  इन दिनों Youtube पर अभिनेता मनोज वाजपेयी (manoj bajpayee) अपने नए अवतार में काफी धूम मचा रहे हैं. वह बन गए हैं एक रैपर और बड़ी ही बेबाकी से पूछ रहे हैं बंबई में का बा? 9 सितंबर को लॉन्च किए  गए इस भोजपुरी रैप को लोग काफी पसंद कर रहे हैं और इसके साथ ही अनुभव  सिन्हा का निर्देशन भी सराहा जा रहा है.

छोटे या दूर-दूराज के शहर (खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के जिलों) से निकलकर माया नगरी मुंबई पहुंचे लोगों की आवाज बने मनोज वाजपेयी उनकी यादों, इरादों, कठिन रातों और संघर्षों को बता रहे हैं. इस आवाज को शब्द दिए हैं डॉ. सागर ने. 

मुंबई में भी गांव की याद है 'बंबई में का बा'
कभी बॉम्बे, कभी बंबई तो कभी मुंबई...जितने नाम, उससे कहीं अधिक ढंग, कहीं अधिक रूप. चमचम करती इस माया नगरी में न जाने कौन सा आकर्षण है कि आज भी छोटे शहरों की ओर पतली डोर फेंकती है और खींच कर बुला लेती है.

कोई आता है तो यहीं का रह जाता है तो कोई यह सोचता रह जाता है कि एक दिन बड़ा आदमी बन कर गांव लौटूंगा. जुहू चौपाटी के किनारे सागर को हिलोरे मारते देख किसी तो गांव की नदी-तालाब याद आते हैं तो दूसरी ओर बड़ी-बड़ी इमारतें याद दिलाती हैं घर-आंगन और मुंडेर.

भोजपुरी भाषी लोगों का मुंबई से पुराना ताल्लुक रहा है. आना-जाना लगा ही रहता है. नए रेले आते हैं, बसते चले जाते हैं. लेकिन मन के किसी कोने में रह जाती है लिट्टी-चोखा की याद, बगिया की बयार और गांव की याद...

रैप में है हर किसी के मन की बात
मनोज वाजपेयी ने एक रिबेल रैपर की भूमिका में खुद को बिल्कुल खुला छोड़ दिया है और इस तरह वह उन लाखों मजदूरों की इमेज बना लाने में सफल हो गए हैं, जिनके लिए मुंबई ख्वाब सच करने का शहर है. जो दो जून की रोटी के लिए यहां आते हैं.

जाड़ा-गर्मी, धूप-बरसात, छोटी सी खोली के साथ जिनके हिस्से दो राज्यों के सियासती दांव-पेंच भी आते हैं. गाना पूरी तरीके से भोजपुरी में है,  साथ ही साथ एक किस्म का नया प्रयोग भी है.  गाने के साथ मनोज बाजपेयी के अलावा अनुभव सिन्हा भी जुड़े हुए हैं. उन्होंने इस निर्देशित किया है. 

फैन्स को पसंद आ रहा है मनोज का अंदाज
खास बात है कि  'बंबई में का बा’ गाने की शूटिंग कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान एक दिन में स्टूडियो में की गई है. पूरा गीत मनोज बाजपेयी ने गाया और परफॉर्म किया गया है. पहली बार मनोज बाजपेयी भोजपुरी अंदाज में रैप करते दिखाई-सुनाई दे रहे हैं.

फैन्स को उनका यह अंदाज काफी पसंद आ रहा है, वीडियो इतना पसंद किया जा रहा है कि 4 लाख से अधिक लोग Youtube पर लाइक कर चुके हैं. 

मनोज वाजपेयी ने किया था ट्वीट
इस गाने को शेयर करते हुए मनोज बाजपेयी ने ट्वीट कर लिखा, ‘आप सभी लोगों के सामने जनता की भरपूर मांग पर पेश कर रहा हूं, प्यार के साथ. बंबई में का बा. ’ 'बंबई में का बा' गाने में बताया गया है कि आखिर मुंबई शहर में ऐसी क्या चीज है जो पूरे देश के लोगों को यहां आने के लिए आकर्षित करती है. 

गीतकार के बारे में
आम लोगों की आवाज को शब्द देने वाले गीतकार, लेखक के बारे में बात न हो तो यह बेईमानी होगी, गीत के जिन असल भावों पर मनोज वाजपेयी का अभिनय रंग जमा रहा है, उसके असल चितेरे हैं डॉ. सागर. भोजपुरी भाषा के दामन से अश्लीलता का दाग छुड़ा कर उसमें श्रृंगार, वेदना, प्रेम, दया और लोक रीत के रंग भरने का काम डॉ. सागर कई अरसे से कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के बलिया में जन्मे सागर जब  Ph.D करने जेएनयू पहुंचे तो अपने साथ अपनी भाषा, अपनी संस्कृति को भी ले गए. उन्होंने इसके पहले भी फिल्मों गीत लिखे हैं. जिन्होंने सिने प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. मुंबई में का बा रैप लिखते हुए सागर ने पलायन का आंखों-देखा दर्द उकेर दिया है. लॉकडाउन के दौरान यह और उभर कर बाहर आया और गीत बन गया, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं.  

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