नई दिल्ली.  सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मृत्यु के मामले में एक तरफ पूरा होमवर्क तैयार दिखता है और दूसरी तरफ पूरी जद्दोजहद दिखाई देती है सुशांत की संदिग्ध मौत से पर्दा उठाने की. लेकिन सत्यमेव प्रायः जयते. अक्सर सच की जीत होती है इसलिए मीडिया की मुहिम और सुशांत के प्रशंसकों को धन्यवाद है कि उनकी जिद्दी मांग पर इस मुंबई पुलिस के ओपन एंड शट केस के हर पन्ने से हर दिन एक नया राज़ सामने आ रहा है. अगर इन बिंदुओं को जोड़ा जाये तो एक बात तो साफ़ तौर पर साफ़ हो जाती हैं कि ये सुशांत का ही मर्डर नहीं बल्कि ये एक डबल मर्डर भी हो सकता है.   


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क्यों नहीं हो पाया ओपन एंड शट केस ?


मुंबई पुलिस का बस चलता तो पहले ही दिन सुशांत सिंह राजपूत की 'मृत्यु' को आत्महत्या बता कर बंद कर देते. कोशिश भी यही हुई पर नाकाम रही. दिशा सालियान बड़ी शख्सियत नहीं थी इसलिए उनका मामला उनकी मौत के दिन ही बंद कर दिया गया. परंतु सुशांत के मामले में ऐसा हो नहीं पाया. ऐसा लगता है कि सुशांत के मामले में घटनास्थल के लिए तैयार किया गया होमवर्क कच्चा था और उसकी स्क्रिप्ट जल्दबाज़ी में लिखी गई थी जिसके कई संवाद स्वयं ही किरदारों के साथ संदिग्ध पाए गए. आखिर कोई तो ऐसी वजह रही होगी कि इस मामले की जांच करनी पड़ी, और इस केस की फ़ाइल बंद नहीं की जा सकी.


अचानक दिशा का मामला फिर उठ गया है 


एक सोशल मीडिया रिपोर्ट के कारण दिशा सालियान की संदिग्ध मृत्यु का मामला खुल गया नजर आता है. सोशल मीडिया पर आई ये जानकारी अब सात तालों में बंद नहीं है. हम सिर्फ उसका जिक्र करेंगे और हमें विश्वास है कि वह रिपोर्ट अब खुला रहस्य है जो अपनेआप में एक बारूद का ढेर है जिसमें एक चिंगारी भी बड़ा धमाका कर सकती है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये पोस्ट दिशा की मृत्यु पर लिखी गई है और यह दिशा और सुशांत दोनों की ही संदिग्ध मौतों को सीधे तौर पर हत्या करार देती है. इतना ही नहीं ये रिपोर्ट तथाकथित हत्या की वजह और तथाकथित हत्यारों के बारे में भी बताती है. यहां हम यह अवश्य कहना चाहेंगे कि ज़ी न्यूज़ सोशल मीडिया की इस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं करता है.  



 


पुलिस से बड़ी जांच मीडिया ने की 


मुंबई पुलिस ने तो जांच करनी ही नहीं चाही इसलिए उसकी जांच की बात करना बेमानी होगी. मुंबई पुलिस ने तो इस पर खुद कोई एफआईआर भी नहीं दर्ज की. एफआईआर सुशांत के पिता केके सिंह द्वारा लिखाई गई. उसके बाद मुंबई पहुंच कर बिहार पुलिस ने पिछले चार दिन जांच की जो कोशिश की.उस जांच को मुंबई पुलिस द्वारा हतोत्साहित किया गया. इस बात की शिकायत उन्होंने बिहार जा कर वरिष्ठ अधिकारियों से भी की है. उस जांच से भी फिलहाल कोई बड़ी बात अभी सामने नहीं आई है किन्तु मीडिया के द्वारा जो जांच की गई वो कई बड़ी बातों से पर्दा उठाती है.


एक दिन पहले ही एक बड़ी डील 


सुशांत के करीबियों से मीडिया की जांच के दौरान सामने आया कि सुशांत को किसी तरह का कोई डिप्रेशन नहीं था. ये भी पता चला है कि मृत्यु से एक दिन पहले सुशांत बहुत खुश थे क्योंकि उस दिन एक बड़ा काम उनको मिला था. ऐसे में एक ज़िंदादिल अभिनेता अगले दिन सुबह अचानक आत्महत्या करले तो इस बात पर हैरानी होती है. 



 


रात में देखी गई हैं आत्महत्यायेंं


दिन की धूप डिप्रेशन ठीक करती है किन्तु रात डिप्रेशन बढ़ाती है. डिप्रेशन रात के समय अधिक घेरता है. इसीलिए आत्महत्या के अधिकांश मामले रात में देखे गए हैं. सुबह की शुरुआत तो ताज़ा रखती है और इंसान को ताज़ा, जोशीला और आत्मविश्वास से भरपूर बनाती है. सुबह कोई शख्स जूस पी कर अचानक सुसाइड नहीं कर लेता है. सुसाइड करने से पहले दुनिया में आज तक किसी ने जूस नहीं पिया होगा.


घबराये हुए थे सुशांत


एक जांच रिपोर्ट ये भी बताती है कि मौत से दो चार दिन पहले से सुशांत घबराये हुए थे और उनको आशंका थी कि उनको मार दिया जाएगा. उन्होंने अपना डर करीबी लोगों के साथ शेयर भी किया था. वे पटना अपने घर भी जाने वाले थे लेकिन उसके पहले ही यह अप्रत्याशित घटना घट गई. यहां सवाल ये है कि क्या ये घबराहट सोशल मीडिया की कहानी से जुड़ी हुई है? - क्योंकि यदि सोशल मीडिया की वायरल हो रही टेक्स्ट रिपोर्ट सच है तो सुशांत की मृत्यु-पूर्व इस घबराहट से उस कहानी के तार जुड़े दिखाई देते हैं.  



 


उद्धव क्यों अड़ गए हैं?


देश भर के लोग जिनमें वो लोग भी शामिल हैं जो सुशांत के प्रशंसकों में नहीं आते, सुशांत की मौत की सीबीआई इंक्वायरी कराना चाहते हैं.  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे देश भर के लोगों की भावना को ठुकराते हुए आखिर सीबीआई जांच क्यों नहीं होने देना चाहते? उन्हें ऐसा क्यों नहीं लगता कि उनके इस कदम से मीडिया और जनता दोनों की शक की सुई उन की तरफ ही जा सकती है? किस बात का डर है उद्धव को? किसको बचाना चाहते हैं उद्धव?


अनिल देशमुख का बयान हैरान करता है 


याद कीजिये महाराष्ट्र सरकार के मंत्री अनिल देशमुख का टीवी पर दिया गया वह बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि जांच नहीं होगी, इस बात को कहते हुए उनके चेहरे का जो अड़ियल और निर्णायक भाव था वह ऐसा लगा कि जैसे केस उनके ही खिलाफ है इसलिए वे किसी हाल में ये जांच नहीं होने देंगे. इस बात को कैमरे पर रिपोर्टरों के सामने कहते हुए उनके चेहरे के भाव जैसे कह रहे थे कि 'जांच किसी हाल में नहीं होने दी जायेगी, जो करते बने कर लो!' देशमुख अपनी बात नहीं कह रहे थे बल्कि डिक्टेट करते दिखाई दे रहे थे. 


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