कामाख्या देवी मंदिर, जहां वर्जित है पुरूषों की एंट्री

कामाख्या देवी मंदिर भारत के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है. मंदिर के साथ एक अनोखा इतिहास और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. बता दें कि कामाख्या मंदिर को पारंपरिक असमिया शैली में बनाया गया है. यहां पर कई देवी-देवताओं को समर्पित कई छोटे तीर्थस्थल हैं.       

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 30, 2023, 04:48 PM IST
  • एतिहासिक है कामाख्या देवी मंदिर
  • मंदिर में मनाया जाता है अंबुबाची मेला
कामाख्या देवी मंदिर, जहां वर्जित है पुरूषों की एंट्री

नई दिल्ली : कामाख्या देवी मंदिर भारत के असम के गुवाहाटी में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है. यह भारत में सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है और देवी शक्ति के अवतार देवी कामाख्या को समर्पित है. मंदिर के साथ एक अनोखा इतिहास और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जो इसे घूमने के लिए सबसे आकर्षक स्थानों में से एक बनाती है. 

कामाख्या मंदिर की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार कामाख्या मंदिर वह स्थान है जहां भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र द्वारा खंडित होने के बाद देवी सती की योनि वाला भाग गिरा था. माना जाता है कि सती के पिता ने एक बहुत बडे यज्ञ का आयोजन करवाया था. इस यज्ञ में सभी प्रतिष्ठित लोगो को आमंत्रित किया गया था सिवाय भगवान शिव के. इस बात का पता चलने पर सती अपने पति भगवान शिव का ये अपमान सहन ना कर सकी और पिता के द्वारा बनाये गये हवन यज्ञ मे ही खुद को सर्मपित कर दिया. जब भगवान शिव को पता चला कि सती ने खुद को यज्ञ में समर्पित कर दिया तो वह क्रोध से भर उठे और वह सती के शरीर को लेकर विनाश का तांडव नृत्य करने लगे. इस दौरान ब्रह्मांड को नष्ट करने से रोकने के लिए, भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया, जो पृथ्वी के कई हिस्सों पर गिरे. बता दें कि सती की योनि उस स्थान पर गिरी थी जहां आज कामाख्या मंदिर स्थित है.   

मंदिर से जुड़ी एक और कथा 
मंदिर से जुड़ी एक और कथा राजा नरकासुर की है, जो एक शक्तिशाली राक्षस राजा था. उसे वरदान था कि उसे केवल एक स्त्री ही मार सकती थी. वह अहंकारी हो गया और महिलाओं और अन्य देवताओं को परेशान करने लगा. भगवान विष्णु और भगवान शिव ने एक ऐसी महिला बनाने का फैसला किया जो नरकासुर को मार सके. उन्होंने कामाख्या नाम की एक महिला बनाई, जो देवी शक्ति का अवतार थी. उन्होंने नरकासुर का वध किया. 

कामाख्या मंदिर की वास्तुकला
कामाख्या मंदिर वास्तुकला का एक सुंदर नमूना है और पारंपरिक असमिया शैली में बनाया गया है. मंदिर के परिसर में कई देवी-देवताओं को समर्पित कई छोटे मंदिर और तीर्थस्थल हैं. मुख्य मंदिर एक पहाड़ी पर बना है और इसकी संरचना गुंबद जैसी है. यह मंदिर लाल बलुआ पत्थर से बना है और इसकी दीवारों पर जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं. मंदिर में तीन कक्ष हैं और मुख्य कक्ष में देवी कामाख्या की योनि है.  योनि लाल कपड़े से ढकी हुई है और इसे मंदिर का सबसे पवित्र हिस्सा माना जाता है.  दूसरे कक्ष में देवी की एक पत्थर की मूर्ति है, और तीसरे कक्ष का इस्तेमाल कई तरह के अनुष्ठानों और समारोहों को करने के लिए किया जाता है.

कामाख्या मंदिर में मनाए जाने वाले त्यौहार
कामाख्या मंदिर अपने जीवंत और रंगीन त्योहारों के लिए जाना जाता है. मंदिर में मनाया जाने वाला सबसे प्रसिद्ध त्योहार अंबुबाची मेला है, जो हर साल 22 जून से 26 जून को आयोजित किया जाता है. 

क्यों है पुरूषो का वर्जित
यह धारणा पूरी तरह से सच नहीं है. पुरुषों को मंदिर में प्रवेश करने और देवी की पूजा करने की अनुमति है. उन्हें केवल मुख्य गर्भगृह में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है जहां योनि स्थित है. इसका कारण यह है कि योनि को स्त्री शक्ति का प्रतीक माना जाता है और ऐसा माना जाता है कि पुरुष गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए पर्याप्त पवित्र नहीं होते हैं.

 

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