नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने फैसला सुनाया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को छोड़कर किसी अन्य अपराध की जांच करने की शक्ति नहीं है. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) ईडी को केवल धारा 3 अपराधों की जांच करने का अधिकार देता है.
अदालत ने ईडी के अधिकारों पर की ये टिप्पणी
न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा: यह देखना प्रासंगिक हो जाता है कि ईडी पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित अपराधों की कोशिश करने के लिए सशक्त है. इसे किसी अन्य अपराध की जांच करने या पूछताछ करने का न तो अधिकार दिया गया है और न ही यह इसके अधिकार क्षेत्र में आता है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए, पीठ ने कहा: सुप्रीम कोर्ट ने उचित रूप से देखा था कि भले ही ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान ऐसे सबूत मिल जाए जो दूसरे अपराध की ओर इशारा करते हों, तो अधिकारी उन आरोपों की जांच करने के लिए कानून द्वारा प्राधिकृत अधिकारियों को अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत कर सकता है और विचार कर सकता है कि क्या वे एक विधेय अपराध के आयोग का गठन करेंगे.
अदालत ने ईडी को लेकर सुनाया ये अहम फैसला
अदालत ने फैसला सुनाया कि पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराधों के रूप में निर्दिष्ट अपराधों की जांच और मुकदमा चलाने की प्राथमिक जिम्मेदारी उन अलग-अलग अधिनियमों द्वारा स्थापित अधिकारियों की है.
उन्होंने कहा, ईडी संभवत: उन अपराधों की जांच करने की शक्ति का हनन नहीं कर सकता है. किसी भी मामले में, यह अपने स्वयं के प्रस्ताव पर, इस अनुमान पर आगे नहीं बढ़ सकता है कि यह अनुसूचित अपराध के आयोग का सबूत है.
ईडी को संबंधित एजेंसी को उचित कार्रवाई करने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होगी, यदि जांच करने के बाद, ईडी यह निर्धारित करता है कि उसके कब्जे में मौजूद सामग्री किसी अन्य अधिनियम द्वारा परिभाषित अपराध को सुलझाने में मददगार होगी.
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