लालू यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती को मिली राहत, जानें क्या है जमीन के बदले नौकरी मामला
जमीन के बदले नौकरी मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव, राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती को जमानत मिल गई है. आप इस रिपोर्ट में इस कथित घोटाले से जुड़ी हर बड़ी जानकारी हासिल कर सकते हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने जमीन के बदले नौकरी के कथित घोटाले से जुड़े एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता एवं पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी एवं बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती और अन्य को बुधवार को जमानत दे दी. यादव (74) का हाल ही में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. वह अदालत परिसर में ‘व्हील चेयर’ पर नजर आए.
50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर मिली जमानत
लालू सुबह करीब 10 बजे राउज़ एवेन्यू अदालत पहुंचे. हालांकि मामले की सुनवाई देर से शुरू हुई. परिवार के तीनों सदस्य पूर्वाह्न करीब 11 बजे न्यायाधीश गीतांजलि गोयल के समक्ष पेश हुए. अदालत ने 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती को जमानत दी.
अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के वास्ते 29 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने जमानत याचिका का विरोध नहीं किया. यह मामला लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहने के दौरान उनके परिवार को कथित तौर उपहार में दी गई या बेची गई जमीन के बदले रेलवे में की गई नियुक्तियों से जुड़ा है.
काफी कम कीमत पर जमीन बेचने का भी आरोप
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपने आरोप पत्र में कहा कि भारतीय रेलवे के निर्धारित मानदंडों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए रेलवे में नियुक्तियां की गईं. इसमें नौकरी के बदले में उम्मीदवारों द्वारा सीधे या अपने करीबी रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के जरिए राजद प्रमुख एवं तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को बाजार दरों से काफी कम कीमत पर जमीन बेचने का भी आरोप लगाया गया है.
विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने 27 फरवरी को प्रसाद की बेटी मीसा भारती समेत सभी आरोपियों को समन जारी किया था और उन्हें 15 मार्च को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. न्यायाधीश ने कहा, 'आरोपपत्र और रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों तथा सामग्री का अवलोकन करने पर प्रथम दृष्टया यह दिखता है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, धारा 420, 467, 468 और 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध किया गया. परिणामस्वरूप, इन अपराधों पर संज्ञान लिया गया है.'
जुलाई 2022 में भोला यादव को किया था गिरफ्तार
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपपत्र बिना किसी गिरफ्तारी के दाखिल किया, केवल इस एक व्यक्ति के मामले में जो अभी जमानत पर हैं. सीबीआई ने जुलाई 2022 में भोला यादव को गिरफ्तार किया था, जो कथित घोटाले के समय तत्कालीन रेलवे मंत्री लालू प्रसाद के ओएसडी (विशेष अधिकारी) थे. सीबीआई ने 16 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के अपराधों में पिछले साल 10 अक्टूबर को आरोपपत्र दायर किया गया था.
आरोपपत्र में एजेंसी ने प्रसाद की मध्य रेलवे की पूर्व महाप्रबंधक सौम्या राघवन, रेलवे के पूर्व सीपीओ कमल दीप मैनराय, ‘सब्सिट्यूट’ के तौर पर नियुक्त सात उम्मीदवारों और चार अन्य लोगों को नामजद किया है. आरोपपत्र के अनुसार, लालू प्रसाद और अन्य के खिलाफ प्रारंभिक जांच में सामने आई बातों के आधार पर मामला दर्ज किया गया.
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