22 अक्टूबर 1947, काला दिवस : कश्मीर में भारी खूनखराबे का इतिहास

आजादी के कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर खूनखराबे वाली साजिश रची थी. आज इस करतूत को 73 साल बीत चुके हैं, इसीलिए आज काला दिवस मनाया गया..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 22, 2020, 05:45 PM IST
  • पाकिस्तान के खिलाफ काला दिवस
  • 22 अक्टूबर 1947 का खूनखराबा
  • कश्मीर हड़पने के लिये किया था हमला
22 अक्टूबर 1947, काला दिवस : कश्मीर में भारी खूनखराबे का इतिहास

नई दिल्ली: कश्मीर में अमन और चैन का सबसे बड़ा दुश्मन पाकिस्तान है. आज से नहीं बल्कि 73 साल पहले से ही पाकिस्तान ने कश्मीर में खून खराबे की साजिशें शुरू कर दी थीं. 22 अक्टूबर 1947 के दिन कश्मीर पर कब्जे की नीयत से पाकिस्तान की सेना ने कबायली हमलावरों के साथ मिलकर कश्मीर में आक्रमण किया था. और कश्मीर में भारी खूनखराबा किया था. आज भारत में पाकिस्तान समर्थित हिंसा और आतंकवाद के खिलाफ इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.

73 साल पुराने पाप पर काला दिवस

कश्मीर पर पाकिस्तान के 73 साल पुराने पाप की गवाही पूरा देश दे रहा है. 22 अक्टूबर 1947 यही वो तारीख थी, जब पाकिस्तानी सेना ने कबायलियों के साथ मिलकर कश्मीर पर हमला बोल दिया था. हमलावरों ने कश्मीर में कत्ले आम मचा दिया था. भयंकर लूटमार की गई थी. महिलाओं के साथ बदसलूकी हुई.

इस सबका जिम्मेदार पाकिस्तान था, जिसने अपनी सेना को कबायली हमलावरों के साथ कश्मीर को लहूलुहान करने के लिए भेजा था. कश्मीर में पाकिस्तान के हमले के आज 73 साल बीत गए हैं और भारत 22 अक्टूबर को घाटी में पाकिस्तान की हिंसा और आतंकवाद की साजिशों के ख़िलाफ काला दिवस के रूप में मना रहा है. इस मौके पर श्रीनगर में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने हिस्सा लिया.

श्रीनगर में ब्लैक डे के कार्यक्रम में कश्मीर पर पाकिस्तान के हमले से जुड़ी तस्वीरों को प्रदर्शित किया गया. इसके अलावा दो दिनों की एक संगोष्ठी भी आयोजित की गई. सरकार पाकिस्तान सेना के सहयोग से कश्मीर पर हमला करने वाले कबायली हमलावरों के अत्याचार से जुड़े इतिहास को संग्रहालय के जरिए दिखा रही है.

370 के खात्मे के बाद घाटी में अमन चैन

कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद आज घाटी में अमन चैन का माहौल है. नया कश्मीर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, कश्मीर में अमन चैन के सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान की साजिशें कामयाब नहीं हो पा रही हैं.
लेकिन कश्मीर को किस तरह पाकिस्तान ने बार बार जलाने की कोशिश की, ये भुलाया नहीं जा सकता.

आपको बताते हैं किस तरह पाकिस्तान की सेना ओर कबायली हमलावरों ने कश्मीर में अत्याचार किया.

पाकिस्तानी सैनिकों को थोड़ी-थोड़ी संख्या में भेजा गया था और नियमित सैनिकों को आक्रमणकारियों के साथ मिलाया गया था. 26 अक्टूबर को आक्रमणकारियों ने बारामूला में प्रवेश किया और दिल दहला देने वाले अत्याचार किए. 26 अक्टूबर को आततायी सेना ने बारामूला पर कब्जा कर दिया और वहां खून का ​दरिया बहा दिया गया. हजारों लोगों की हत्या कर दी गई, हिंदुओं को खास तौर पर निशाना बनाया गया.

इस हमले के बाद कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार से मदद की अपील की और कश्मीर का औपचारिक रूप से भारत में विलय कर लिया. जिसके बाद 27 अक्टूबर, 1947 को भारतीय सेना ने कश्मीर से हमलावरों को बाहर निकालने के लिए मोर्चा संभाल लिया. जैसे ही भारतीय फौजों ने ऑपरेशन शुरू किया, पाकिस्तान घबरा गया. भारत की थल सेना और वायुसेना ने पाकिस्तानी फौज पर सीधा प्रहार कर दिया, जिसके बाद हमलावरों के पसीने छूट गए और वो बड़े तेजी से पीछे भागने लगे.

भारतीय सेना के पराक्रम से पाकिस्तान पीछे हट गया लेकिन इस बीच संघर्ष विराम लागू हो गया, यानी पीओके का हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया. इसी बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप पर रजामंदी जता दी और कश्मीर का मामला उलझ गया. कहा जाता है कि पंडित नेहरू ने अगर उस वक्त ये गलती नहीं की जाती तो संपूर्ण कश्मीर भारत का हिस्सा होता.

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