नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के बीच बड़ी संख्या में लोगों को इलाल के लिए भर्ती कराना पड़ रहा है. ऐसे में कोरोना संक्रमितों की जांच और इलाज में आधार कार्ड बाधा बन रहा था. परिजनों के पास मरीज का आधार कार्ड नहीं था तो इस वजह से उन्हें अस्पतालों और जांच केंद्रों के चक्कर लगाने पड़ रहे थे.
इलाज या टीका लगाने से नहीं किया जा सकता इनकार
ऐसे में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी UIDAI ने शनिवार स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसी भी व्यक्ति को टीका लगाने, दवा देने, अस्पताल में भर्ती करने या उपचार उपलब्ध कराने से सिर्फ इस वजह से इंकार नहीं किया जा सकता कि उसके पास आधार कार्ड नहीं है.
आधार की कमी को नहीं बनाया जा सकता बहाना
प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि कोई भी आवश्यक सेवा उपलब्ध कराने से इंकार करने के लिए आधार कार्ड का बहाना नहीं बनाया जाना चाहिए. देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच यूआईडीएआई का ये बयान का काफी मायने रखता है.
UIDAI ने ये भी कहा कि यदि किसी नागरिक के पास किसी कारण से आधार कार्ड नहीं है तो आधार अधिनियम के तहत उसे सेवा प्रदान करने से इंकार नहीं किया जा सकता.
इन खबरों के बीच कि आधार कार्ड न होने की वजह से कई लोगों को अस्पताल में भर्ती होने जैसी आवश्यक सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है, यूआईडीएआई ने स्पष्ट किया कि आधार न होने की वजह से किसी भी व्यक्ति को टीका, दवा उपलब्ध कराने, अस्पताल में भर्ती करने या उपचार उपलब्ध कराने से मना नहीं किया जा सकता.
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जांच के लिए अनिवार्य था आधार
साल 2020 में कोरोना के सामने आने के बाद भारत में कोरोना जांच के समय आधार कार्ड देना अनिवार्य कर दिया गया था जिससे कि मरीज की सही पहचान हो सके. आगे चलकर कोरोना कार्यप्रणाली में यह स्थापित हो गया. कोरोना से संबंधित किसी भी कार्य के लिए सबसे पहले आधार मांगा जाने लगा.
लेकिन दूसरी लहर में यही मरीजों और उनके परिजनों के लिए परेशानी का सबब बन गया था जिससे अब जाकर लोगों को राहत मिलती दिख रही है.
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