कर्नाटक में परास्त भाजपा अब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान में बदलेगी रणनीति!

दरअसल इस साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ नेताओं के बीच अब तक हुई चर्चा में कर्नाटक में हार के लिए जिम्मेदार 6अहम कारण निकलकर सामने आए. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 16, 2023, 11:43 AM IST
  • कई अहम पहलुओं पर हुई गंभीर चर्चा.
  • आगामी चुनावों में पार्टी की बदलेगी रणनीति.
 कर्नाटक में परास्त भाजपा अब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान में बदलेगी रणनीति!

नई दिल्ली. कर्नाटक में मिली हार के बाद भाजपा अब इस साल के अंत में होने वाले चुनावी राज्यों की रणनीति में बड़े बदलाव करेगी. सूत्रों के हवाले से प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब भाजपा जातिगत समीकरण और चुनाव प्रचार में लोकल लीडरशिप को अहम जगह देगी. दरअसल इस साल के अंत में मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं. रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ नेताओं के बीच अब तक हुई चर्चा में कर्नाटक में हार के लिए जिम्मेदार 6अहम कारण निकलकर सामने आए. 

लोकल लीडरशिप पर भरोसा न करना हार की बड़ी वजह 
सूत्रों के मुताबिक सीनियर पार्टी लीडर्स ने कर्नाटक में मिली हार के बाद आगामी विधानसभा चुनावों में रणनीति बदलने का प्लान बनाया है. इस प्लान में जातिगत समीकरण का ध्यान रखा जाएगा और स्थानीय लीडरशिप के हाथ में राज्य के चुनाव प्रचार की कमान भी दी जाएगी. सूत्रों के मुताबिक सीनियर लीडरशिप के बीच हुई अब तक की चर्चा में उन्होंने कर्नाटक के पूर्व सीएम बी.एस येदियुरप्पा को हटाना सबसे बड़ी गलती माना है. इसके साथ यह भी माना है कि कर्नाटक के दिग्गज नेता जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सदावी को टिकट न देना भी उनकी गलती थी. इसका नतीजा लिंगायत समाज की नाराजगी के रूप में सामने आया.   

राज्य की छोटी पार्टियों से अलायंस न करना पड़ा भारी
चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि अगर राज्य की छोटी पार्टियों से हाथ मिलाया जाता तो इसका फायदा कुछ सीटों में जरूर मिलता. एच.डी. कुमारस्वामी के चुनावी अलायंस न करना भी हार की एक वजह बना. ऐसे में राज्य की छोटी पार्टियों के साथ अलायंस की रणनीति पर काम किया जाएगा. 

चुनाव प्रचार में लोकल लीडरशिप की भागीदारी
चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक में लोकल लीडशिप की जगह दूसरे राज्यों के सीएम और केंद्र को ज्यादा जगह दी गई. प्लानिंग में भी लोकल लीडर्स की जगह इन पर भरोसा किया गया. लेकिन अब आगामी विधानसभा चुनावों में लोकल लीडरशिप की चुनाव प्रचार की प्लानिंग और उसे लागू करने में अहम भूमिका में होगी.

दूसरे और तीसरे नंबर के नेता नहीं होंगे इग्नोर 
सोर्सेज के मुताबिक अब आगामी विधानसभा चुनावों में राज्य का सबसे बड़ा फेस तो प्रचार का अहम हिस्सा होगा ही साथ ही दूसरे या तीसरे नंबर के नेताओं को भी अहम जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. प्लानिंग के दौरान यह भी डिस्कस हुआ कि जो लोग कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए हैं उन्हें ऐसा नहीं लगना चाहिए कि वह बाहरी हैं, इसका खास ख्याल रखा जाएगा. 

टिकट वितरण में हर खेमे का रखा जाएगा ख्याल 
टिकट वितरण में पार्टी के हर खेमे का ध्यान रखा जाएगा. किसी एक खेमे पर ही दांव नहीं खेला जाएगा. वितरण के समय जातिगत समीकरण और वरिष्ठ नेताओं की पसंद न पसंद को भी बारीकी से समझा जाएगा. 

लोकल नेताओं के बीच मन और मतभेदों को सुलझाया जाएगा
कर्नाटक में पार्टी कई खेमों में बंटी दिखी. लोकल नेताओं के बीच चुनाव के दौरान मनमुटाव भी उभरते रहे. इसलिए अब बाकी राज्यों में इस बात का ख्याल रखा जाएगा की लोकल नेताओं के बीच अगर कोई मतभेद है तो उसे पहले ही सुलझा लिया जाए. चुनाव के दौरान सारे नेता एक छतरी या एक बैनर के नीचे ही दिखने चाहिए.

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