नई दिल्ली: VVIP Chopper Case: अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाला मामले में दिल्ली की विशेष अदालत ने देश के पूर्व रक्षा सचिव, पूर्व नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) शशि कांत शर्मा के साथ ही इंडियन एयरफोर्स के 4 सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ समन जारी किया है.
28 अप्रैल को पेश होने का आदेश
विशेष अदालत के जज अरविंद कुमार ने इस मामले में सीबीआई की ओर से दाखिल पूरक चार्जशीट में नामजद सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया. कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सभी को 28 अप्रैल 2022 को पेश होने का आदेश दिया.
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक एडवोकेट डीपी सिंह ने संज्ञान के बिंदु पर कोर्ट के समक्ष दलील पेश की. इसके साथ ही कोर्ट में ये भी जानकारी दी गई कि केंद्रीय जांच ब्यूरो को शशिकांत शर्मा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मिल गई है.
सीबीआई ने केस चलाने के लिए मांगी थी मंजूरी
इससे पहले, सीबीआई ने 3,600 करोड़ रुपये के वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में कथित अनियमितताओं के मामले में पूर्व रक्षा सचिव और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) शशि कांत शर्मा पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से मंजूरी मांगी थी. जांच एजेंसी ने पूर्व एयर वाइस मार्शल और भारतीय वायु सेना के तीन अन्य पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए भी मंजूरी मांगी थी.
इससे पहले सीबीआई ने 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए यूके स्थित एक कंपनी को अनुबंध देने से संबंधित एक मामले में निजी कंपनियों सहित पंद्रह आरोपियों के खिलाफ सितंबर 2020 में आरोप पत्र दायर किया था.
सीबीआई और ईडी कर रही मामले की जांच
अगस्ता वेस्टलैंड मामले की जांच सीबीआई और ईडी की ओर से की जा रही है. इस मामले में तीन हफ्ते पहले सीबीआई ने पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी शशिकांत शर्मा के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी. सीबीआई की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पूर्व एयरमार्शल जसबीर सिंह पनेसर, तत्कालीन डिप्टी चीफ टेस्टिंग पायल एसए कुंटे, तत्कालीन विंग कमांडर थॉमस मैथ्यू और पूर्व ग्रुप कैप्टर एन संतोष का नाम भी है.
शशिकांत शर्मा साल 2003 से लेकर 2007 के बीच डिफेंस मिनिस्ट्री में जॉइंट सेक्रेटरी (एयर) का पदभार संभाल चुके हैं. इसके बाद वह 2011-2013 के बीच भारत के डिफेंस सेक्रेटरी रहे. साल 2013-2017 के बीच उन्होंने सीएसजी का पदभार संभाला था.
यह था अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाला
फरवरी 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने 556.262 मिलियन यूरो के 12 अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर खरीदने की डील साइन की थी. इन चॉपर्स को वीवीवीआईपी और अन्य मेहमानों के लिए खरीदा जाना था. बाद में इस मामले घोटाले के आरोप लगे और विवाद बढ़ता गया. आरोप लगा कि अगस्ता वेस्टलैंड को फायदा पहुंचाने के लिए असली डील में चॉपर की स्पेसिफिकेशन्स को बदला गया.
बाद में रिपोर्ट्स में अनुमान लगाया गया कि कुल सौदा 3,600 करोड़ रुपये का था. सीबीआई ने अपनी पहली चार्जशीट में अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में सरकारी खजाने को 398.21 मिलियन यूरो (करीब 2,666 करोड़ रुपये) का अनुमानित नुकसान होने का आरोप लगाया था.
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