Air Pollution: छोटे शहरों की पहचान बनता जा रहा है उनका प्रदूषण

कई कस्बे जो पहले गांव थे, शहर बेहद पास होने के कारण अब वे न गांव रह गए हैं और न ही अभी तक शहर बन पाए हैं. इसका नतीजा यह हुआ है कि कस्बों में सुविधा और साधन तो बढ़ रहे हैं, लेकिन उसके अनुकूल रखरखाव को लेकर कोई नीति नहीं है. यह स्थिति प्रदूषण बढ़ा रही है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 28, 2021, 01:08 PM IST
  • दिल्ली-NCR के सुदूर के क्षेत्र भी बुरी तरह प्रदूषित
  • उद्योग और पर्यावरण के बीच कोई सामंज्य मॉडल नहीं
Air Pollution: छोटे शहरों की पहचान बनता जा रहा है उनका प्रदूषण

नई दिल्लीः दिल्ली छोड़िए, अगर आप NCR के भी शहरों में रह रहे हैं तो प्रदूषण का भूत आपका पीछा नहीं छोड़ेगा. एक बार फिर गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, मुरादनगर और हापुड़ जिलों में प्रदूषण की बुरी स्थिति है. एक तरफ जहां सर्द मौसम के कारण सुबह-सुबह कोहरा और धुंध छाया रहता है, इसी के साथ इस जमें हुए वातावरण में प्रदूषण भी घुला रहता है. यानी कि नोएडा-गाजियाबाद में सिर्फ सर्दी के कारण कोहरा नहीं है बल्कि इसमें प्रदूषण वाली धुंध भी शामिल है.

मुरादाबाद सबसे प्रदूषित

गुरुवार सुबह पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का मुरादाबाद जिला बेहद प्रदूषित है. यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स 393 दर्ज किया गया. दिल्ली से इतनी दूर प्रदूषण की यह स्थिति चिंता में डाल देती है. यह बताती है कि सिर्फ मेट्रो शहर (Metro City) ही प्रदूषण के मारे नहीं है, बल्कि सीमा से दूर वाले जिले भी प्रदूषित हवा झेल रहे हैं. मुरादाबाद पीतल उद्योग के लिए प्रसिद्ध है.

दिल्ली का प्रदूषण स्तर गुरुवार को 327 है. दोनों ही स्थितियां प्रदूषण के लिए बहुत बुरी श्रेणी में आती हैं.  

क्यों है मुराबाद में प्रदूषण

मुरादाबाद (Moradabad) में प्रदूषण की वजह उसकी प्रसिद्धी ही है. यानी कि उसकी पीतल भट्ठियां. मुरादाबाद में पीतल की भट्ठियां और सड़कों पर बेतरतीब तरीके से चलते पुराने हो चुके वाहन हवा की गुणवत्ता को खराब कर रहे हैं. ठंड में यह स्थिति और बिगड़ जाती है. कभी वायु गुणवत्ता सूचकांक तीन सौ के पार हो जाता है तो कभी चार सौ के ऊपर तक पहुंच जाता है. बीते दिसंबर 2020 में भी प्रदूषण के मामले में मुरादाबाद टॉप पर रहा था.

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दिल्ली-NCR की हवा खराब

एक दिन पहले यानी बुधवार की बात करें तो गाजियाबाद सबसे प्रदूषित शहर था. गाजियाबाद (Ghaziabad) बुधवार को NCR के प्रमुख शहरों में सबसे प्रदूषित शहर रहा. CPCB के समीर ऐप के अनुसार बुधवार को गाजियाबाद का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 367, नोएडा (Noida) का 344, फरीदाबाद का 321 रहा.

वहीं दिल्ली का AQI 317 रहा. उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में बागपत में 302, बुलंदशहर में 348, हापुड़ में 122, गुरुग्राम में 310, आगरा में 338, बल्लभगढ़ में 276, मेरठ में 360 एक्यूआई रहा.

कस्बों में बिगड़ रही स्थिति

सबसे अधिक चिंता कस्बों में बिगड़ती स्थिति को लेकर हैं. दरअसल, कई कस्बे जो पहले गांव थे, शहर बेहद पास होने के कारण अब वे न गांव रह गए हैं और न ही अभी तक शहर बन पाए हैं. इसका नतीजा यह हुआ है कि कस्बों में सुविधा और साधन तो बढ़ रहे हैं, लेकिन उसके अनुकूल रखरखाव को लेकर कोई नीति नहीं है. दिल्ली-गुरुग्राम से सटा हरियाणा का धारुहेड़ा ऐसा ही कस्बाई इलाका है. यहां गुरुवार को 344 AQI है. साधनों की भीड़ के बीच बेतरतीबी होने के कारण यह इलाका प्रदूषण के नए कीर्तिमान बना रहा है. इसी तरह भिवाड़ी भी 360 के AQI के साथ बढ़े हुए प्रदूषण (Pollution) में सांस ले रहा है. धारूहेड़ा और भिवाड़ी दोनों ही औद्योगिक क्षेत्र हैं.

 

उद्योग और पर्यावरण के बीच सामंजस्य वाला मॉडल न होने के चलते एक के प्रगति दूसरे को नष्ट कर रही है. यही वजह है कि इन छोटे जिलों की नई पहचान उनका बढ़ा हुआ प्रदूषण बन रहा है.

समीर एप के Data के मुताबिक शहरों में AQI कुछ ऐसा है.

भिवाड़ी 360
दिल्ली- 327
धारूहेड़ा - 344
फरीदाबाद - 345
गाजियाबाद 330
गुरुग्राम 327
मुरादाबाद 393
नोएडा 302

ये है AQI का मानक

शून्य से 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘अत्यंत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है. AQI के खराब और अत्यंत खराब श्रेणी में पहुंचने के चलते लोगों को सांस संबंधी परेशानियां हो सकती हैं.

इसलिए मास्क का उपयोग जरूरी है. साथ ही आंखों में जलन और खांसी की समस्या भी हो सकती है. चिकित्सकों के अनुसार प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ ही लोगों को सिर में दर्द, खांसी, सांस लेने में परेशानी जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

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