पद्म और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित Akkitham Achuthan Namboothiri का निधन

अक्कितम अच्युतन नंबूदरी  (Akkitham Achuthan Namboothiri) ने गुरुवार को  केरल के त्रिशूर में अंतिम सांसें लीं. नंबूदरी को साल 2019 का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था. सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार शाम को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 15, 2020, 11:48 AM IST
    • अक्कितम अच्युतन नंबूदरी का जन्म 8 मार्च 1926 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था.
    • पद्म पुरस्कार से सम्मानित अक्कितम को सहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुके हैं
पद्म और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित Akkitham Achuthan Namboothiri का निधन

कोच्चिः ऐसा लगता है 2020 मृत्यु का साल है. इस साल महामारी का प्रकोप तो है इसके अलावा भी एक-एक करके दिग्गज प्रयाण कर रहे हैं. गुरुवार को साहित्य क्षेत्र को बड़ी क्षति हो गई, जब ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अक्कितम अच्युतन नंबूदरी के निधन की जानकारी सामने आई.

नंबूदरी जाने-माने मलयालम कवि थे. पिछले साल ही उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 94 वर्ष की आयु में उन्होंने आंखें मूंद लीं. 

गुरुवार शाम को होगा अंतिम संस्कार
जानकारी के मुताबिक, अक्कितम अच्युतन नंबूदरी  (Akkitham Achuthan Namboothiri) ने गुरुवार को  केरल के त्रिशूर में अंतिम सांसें लीं. नंबूदरी को साल 2019 का प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया था. सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार शाम को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. 

युगद्रष्टा कवि थे अक्कितम 
अक्कितम अच्युतन नंबूदरी का जन्म 8 मार्च 1926 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था. बचपन से ही उनकी रुचि साहित्य और कला की ओर थी. कविता के अलावा अक्कितम ने नाटक और उपन्यास भी लिखें. अक्कितम युगद्रष्टा कवि थे.

वह साहित्य अकादमी पुरस्कार, मूर्ति देवी पुरस्कार, कबीर सम्मान, वल्लतोल सम्मान समेत कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं. उनकी कविता, नाटक, उपन्यास और अनुवाद में उनकी 40 से अधिक किताबें छप चुकी हैं. उनकी रचनाओं का कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है.

कई पुरस्कारों से हुए सम्मानित
उन्होंने 55 किताबें लिखीं, जिनमें से 45 कविता संग्रह हैं. पद्म पुरस्कार से सम्मानित अक्कितम को सहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (दो बार) मातृभूमि पुरस्कार, वायलर पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.

अक्कितम की कविताएं भारतीय दार्शनिक और सामाजिक मूल्यों को जोड़ती हैं जो आधुनिकता और परंपरा के बीच एक सेतु की तरह है. उन्होंने अन्य भारतीय भाषाओं के कार्यों का भी अनुवाद किया है. उनकी सबसे प्रसिद्ध काव्य पुस्तक इरुपदाम नूतनदीदे इतिहसम है जो पाठकों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध हैं.

यह भी पढ़िएः दुर्गा भाभी, वह क्रांतिकारी वीरांगना जो अंग्रेजों के लिए वाकई बन जाती थीं रणचंडी

देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा...

नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-
Android Link -

ट्रेंडिंग न्यूज़