नई दिल्ली: बिहार में नई महागठबंधन सरकार में मंगलवार को 31 मंत्रियों ने शपथ ले ली. तेजस्वी यादव समेत 16 कैबिनेट बर्थ राष्ट्रीय जनता दल यानी RJD को मिलीं तो जेडीयू के खाते में 11 सीटें आई हैं. कांग्रेस से दो मंत्री बनाए गए हैं, हिंदुस्तानी अवाम पार्टी से 1 सदस्य और 1 स्वतंत्र विधायक को मंत्री बनाया गया है. यानी बिहार में पिछले कुछ दिनों से चल रहा राजनीतिक उथल-पुथल का दौर अब शांति की ओर बढ़ रहा है. बिहार में नई सरकार के जश्न के बीच पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में भी ममता सरकार एक जश्न मना रही है.
साल 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में जबरदस्त चुनाव प्रचार कर रही भारतीय जनता पार्टी के सामने ममता की अगुवाई वाली तृणमूल ने एक नारा दिया जो खूब मशहूर हुआ. यह नारा था 'खेला होबे'. इसे टीएमसी ने बीजेपी के खिलाफ प्रचार अभियान में जमकर इस्तेमाल किया. चुनाव में कई चुनावी सर्वे फेल हुए ममता बनर्जी ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई. अब ममता सरकार राज्य में खेला होबे दिवस मना रही है. टीएमसी के युवा प्रवक्ता देबांशु भट्टाचार्य ने 'खेलो होबे' को लिखा और विभिन्न रैलियों में गाकर खूब मशहूर किया.
पूरे राज्य में जश्न
राज्य में आज इसका जश्न मनाने के लिए विभिन्न फुटबॉल ग्राउंड में कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. मुख्यमंत्री ममता ने कहा है कि वो इन कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा संख्या में युवाओं की भागीदारी चाहती हैं.
ममता ने किया ट्वीट
ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा है- 'मैं खेला होबे दिवस पर अपनी शुभकामनाएं देना चाहती हूं. बीते साल के कार्यक्रम में मिली जबदस्त सफलता के बाद आज हम युवाओं की ज्यादा भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं. आइए इस दिन को अपने युवाओं के उत्साह का प्रतीक बनाते हैं. युवा ही विकास के सबसे प्रमाणिक अग्रदूत हैं.' वरिष्ठ टीएमसी नेता तपस राय के मुताबिक पार्टी नेताओं को संदेश दे दिया गया है कि राज्य के सभी ब्लॉक में इस कार्यक्रम का जश्न मनाया जाए.
क्यों मनाया जाता है यह दिवस, क्या हैं उद्देश्य
दरअसल पिछले साल चुनाव में जीत के बाद ममता बनर्जी ने जुलाई महीने में घोषणा की थी कि 16 अगस्त को खेला होबे दिवस के रूप में मनाया जाएगा. 16 अगस्त को यह दिवस रखने के पीछे एक विशेष कारण है.
दरअसल 16 अगस्त 1970 को बंगाल में एक फुटबॉल मैच के दौरान कई लोग मारे गए थे. उन्हीं की याद में ममता बनर्जी ने हर साल 16 अगस्त को खेला होबे दिवस मनाने का ऐलान की ऐलान किया था. लेकिन मकसद सिर्फ खेल से जुड़ा नहीं बल्कि काफी हद तक राजनीतिक भी था. तब यह माना गया कि ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव में अपनी जीत और बीजेपी की हार को लोगों के स्मृतिपटल से ओझल नहीं होने देना चाहती हैं.
दूसरे राज्यों में नहीं काम आया नारा
यही कारण है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद इस साल जब पांच राज्यों के चुनावों की बारी आई तब भी खेला होबे की गूंज सुनाई दे रही थी. हालांकि अन्य राज्यों में यह नारा कोई काम नहीं कर पाया.
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