शाहीन बाग: आरिफ मोहम्मद खान बोले, 'सड़क जाम करके विचार थोपना भी आतंकवाद'

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शाहीन बाग प्रदर्शकारियों पर परोक्ष रूप से निशाना साधा. उन्होंने कहा कि लोगों को परेशान करना भी आतंकवाद है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 22, 2020, 12:36 AM IST
    • 'भारतीय छात्र संसद' को किया संबोधित
    • अहिंसा में भी बल प्रयोग मना नहीं- आरिफ
    • बेनतीजा रही वार्ताकारों की कोशिश
शाहीन बाग: आरिफ मोहम्मद खान बोले, 'सड़क जाम करके विचार थोपना भी आतंकवाद'

दिल्ली: शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध हो रहे प्रदर्शन पर कारल के राज्यपाल ने निशाना साधा है. उन्होंने इसे आतंकवाद से जोड़ दिया. आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि लोग सड़कों पर बैठे हैं और अपने विचार दूसरों पर थोपने के लिए आम जन-जीवन को बाधित कर रहे हैं जोकि आतंकवाद का एक रूप है.

'भारतीय छात्र संसद' को किया संबोधित

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में भारतीय छात्र संसद का शुभारंभ गुरुवार को को उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने किया था. शुक्रवार को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान दोपहर के सत्र में बतौर मुख्य अतिथि यहां पहुंचे थे. उनके सत्र का विषय था, 'आतंकवाद का मुकाबला, विद्रोह और नक्सलवाद, कारण और चुनौती'. 

 

आरिफ मोहम्मद खान ने अपने भाषण में कहा, ''असहमति लोकतंत्र का सार है. इससे कोई परेशानी नहीं है. लेकिन पांच लोग विज्ञान भवन के बाहर बैठ जाएं और कहें कि यहां से हमें तब तक न हटाया जाए जब तक कि यह छात्र संसद एक प्रस्ताव स्वीकार नहीं कर लेती, जिसे हम स्वीकार करते हैं. यह आतंकवाद का एक और रूप है.'' 

अहिंसा में भी बल प्रयोग मना नहीं- आरिफ

आरिफ मोहम्मद खान ने छात्रों के सवालों के जवाब में कहा कि लड़ाई चाहे जिससे भी लड़ो मगर बैर भाव नहीं रखो. अपनी बात पर कायम रहो. जब आतंकवाद है तो उसका मुकाबला करना ही होगा. अहिंसा में भी बल प्रयोग मना नहीं है. केवल नफरत करना मना है.

बेनतीजा रही वार्ताकारों की कोशिश

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की जहां लोग CAA के खिलाफ पिछले दो महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं. वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को समझाने और उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया लेकिन शाहीन बाग के लोगों के मन में नागरिकता कानून का भ्रम इस तरह भरा गया है कि वे किसी को भी सुनने को तैयार नहीं हैं.

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