दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की जहां लोग CAA के खिलाफ पिछले दो महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं. वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को समझाने और उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया लेकिन शाहीन बाग के लोगों के मन में नागरिकता कानून का भ्रम इस तरह भरा गया है कि वे किसी को भी सुनने को तैयार नहीं हैं.
वकीलों ने रोड बंद करने पर पूछा सवाल
साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े ने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि आप लोगों ने एक रोड बंद की है, दूसरी रोड किसने बंद की है. इसके बाद उन्होंने कहा कि एसएचओ का वहां बुलाया और बातचीत के दौरान खड़े रहने के लिए कहा. वार्ताकारों ने कहा कि हमने आज दिल्ली से नोएडा वाले दूसरे रास्ते भी देख, जानने की कोशिश की क्या वैकल्पिक रास्ते भी हो सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने कहा 'यहां हमने देखा कि नोएडा से फरीदाबाद वाला रास्ता पुलिस ने बंद कर रखा है जबकि उसका शाहीन बाग से कोई लेना-देना नहीं है. हमारे कहने पर वह रास्ता खोला भी गया लेकिन थोड़ी देर बाद पता चला कि पुलिस ने उसे दोबारा बंद कर दिया. हम कभी नहीं मानेंगे आपने सारे रास्ते बंद किए.'
'कोई अपने हक के लिए दूसरे के हक का अतिक्रमण नहीं कर सकता'
Sanjay Hegde, one of mediators appointed by Supreme Court, after meeting #ShaheenBagh protestors: This morning we were very happy about opening of Noida- Faridabad road by Police. However, we were disappointed later as road was barricaded again for no apparent reason by police. https://t.co/7tqzU1NVUE pic.twitter.com/oeeVWShNSL
— ANI (@ANI) February 21, 2020
वार्ताकारों ने फिर दोहराया कि हम अपने हक के लिए, दूसरे के हक का अतिक्रमण नहीं कर सकते. वार्ताकारों ने पुलिस से पूछा कि क्या आप दूसरा रस्ता खुलवा सकते हैं और सुरक्षा दे सकते हैं? पुलिस ने जवाब में कहा कि दूसरी तरफ का रोड खोलने पर पूरी सुरक्षा देने के लिए तैयार हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर पुलिस की सुरक्षा पर कैसे भरोसा करें क्योंकि पुलिस की सुरक्षा के बावजूद बेरिगेट्स फांदकर यहां गोली चलाई गई है.
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अपनी मांग पर अड़े प्रदर्शनकारी
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर एंबुलेंस आती है, तो उसको निकलने के लिए हम रास्ता दे देते हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शाहीन बाग में गोली चलती है, तो ऐसे माहौल में दिल्ली पुलिस हमको सुरक्षा कैसे दे पाएगी? प्रदर्शनकारियों ने कहा कि असम में एनआरसी लागू हुआ, तो जिन लोगों के पास कागजात नहीं थे, उनकी जमीन चली गई. प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस वही पुलिस है, जिसने जामिया मिलिया इस्लामिया में घुसकर छात्रों पर लाठियां चलाई थी.