...चलो एकला और दिल्ली में आकर हो जाओ इकट्ठे रे! वाजपेयी का एक वोट से सरकार गिरने के बाद का यादगार भाषण

Atal Bihari Vajpayee Jayanti: अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1996 में अपनी 13 दिन की सरकार गिरने के बाद यादगार भाषण दिया था. यहां पढ़िए पूरा भाषणः   

Written by - Lalit Mohan Belwal | Last Updated : Dec 25, 2021, 08:10 AM IST
  • 1996 में 13 दिन में गिर गई थी वाजपेयी की सरकार
  • महज एक वोट कम मिलने से देना पड़ा था इस्तीफा
...चलो एकला और दिल्ली में आकर हो जाओ इकट्ठे रे! वाजपेयी का एक वोट से सरकार गिरने के बाद का यादगार भाषण

नई दिल्लीः Atal Bihari Vajpayee Jayanti: अटल बिहारी वाजपेयी जितने बड़े राजनेता थे, उतने ही शानदार वक्ता भी. अपनी बातों को सलीके और प्रभावकारी तरीके से कहने की उनकी काबिलियत का हर कोई कायल था. ऐसे ही उन्हें राजनीति का अजातशत्रु नहीं कहा जाता था. उन्होंने संसद हो या सड़क, हमेशा भाषाई गरिमा का ध्यान रखा. वाजपेयी की भाषण शैली ऐसी थी कि उनकी बातें बिल्कुल सटीक निशाने पर लगती थीं, लेकिन कभी किसी का दिल नहीं दुखाती थीं.

एक वोट से गिर गई थी वाजपेयी की सरकार
ऐसा ही एक भाषण अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1996 में अपनी 13 दिन की सरकार गिरने के बाद दिया था. वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार महज एक वोट से संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाई थी. वाजपेयी फ्लोर टेस्ट के दौरान 269 वोट जुटा सके थे, जबकि उनके विरोध में 270 वोट पड़े थे. ऐसे में उन्हें पीएम के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. तब इस्तीफे से पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में यादगार भाषण दिया था.

'जमघट करके कर रहे हमें हटाने का प्रयास'
उन्होंने बीजेपी को काऊ बेल्ट की पार्टी बताने वाले राजनीतिक दलों के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा था, 'हम हरियाणा में जीते, कर्नाटक में समर्थन प्राप्त किया. यह ठीक है कि हम केरल और तमिलनाडु में उतने शक्तिशाली नहीं हैं, लेकिन हमारा संगठन है. पश्चिम बंगाल में भी हम 10 प्रतिशत से थोड़ा कम वोट मिला है. अगर आप वोट की बात करते हैं तो 10 प्रतिशत वोट की बात करिए.' 

उन्होंने आगे कहा, 'इस सदन में एक-एक व्यक्ति की पार्टी है और वो हमारे खिलाफ जमघट करके हमें हटाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्हें प्रयास करने का पूरा अधिकार है. मगर हैं वो एक. एक व्यक्ति की पार्टी. एकला चलो रे. चलो एकला अपने चुनाव क्षेत्र से और दिल्ली में आकर हो जाओ इकट्ठे रे. किसलिए इकट्ठे हो जाओ देश के भले के लिए स्वागत है. हम भी अपने ढंग से देश की सेवा कर रहे हैं.' 

'हम चुनाव में कुकुरमुत्ते की तरह खड़े होने वाली पार्टी नहीं'
बकौल वाजपेयी, 'हमारे इन प्रयासों के पीछे 40 साल की साधना है. ये कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है. ये कोई चमत्कार नहीं हुआ है. हमने मेहनत की है. हम लोगों में गए हैं. हमने संघर्ष किया है. पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है. ये कोई चुनाव में कुकुरमुत्ते की तरह खड़े होने वाली पार्टी नहीं है. आज हमें अकारण कटघरे में खड़ा किया जा रहा है, क्योंकि हम थोड़ी ज्यादा सीटें नहीं ला सके. हम मानते हैं हमारी कमजोरी है. हमें बहुमत मिलना चाहिए. राष्ट्रपति ने हमें अवसर दिया. हमने उसका लाभ उठाने की कोशिश, लेकिन सफलता नहीं मिली वो अलग बात है. लेकिन, हम फिर भी सदन में सबसे बड़े विरोधी दल के रूप में बैठेंगे और आपको हमारा सहयोग लेकर सदन चलाना पड़ेगा. इस बात को मत भूलिए. मगर सदन चलाने में और ठीक तरह से चलाने में हम आपको पूरा सहयोग देंगे इसका आश्वासन देते हैं. मगर सरकार आप कैसी बनाएंगे. वो किस कार्यक्रम पर बनेगी. वो सरकार कैसी चलेगी, मैं नहीं जानता.'

'अंतर्विरोधों में घिरी है सरकार'
वाजपेयी ने आगे बोले, 'हमारा जनाधार नहीं है, हमें लोगों का व्यापक समर्थन प्राप्त नहीं है. अगर हमें छोड़कर सत्ता बनाना चाहते हैं और आप समझते हैं कि वो सरकार टिकाऊ होगी. मुझे तो उसके टिकने के लक्षण नहीं दिखाई देते. पहले तो उसका जन्म लेना कठिन है. जन्म लेने के बाद जीवित रहना कठिन है. ये सरकार अंतर्विरोधों में घिरी हुई देश का कितना लाभ कर सकेगी. ये प्रश्नवाचक चिह्न है. हर बात के लिए आपको कांग्रेस के पास दौड़ना पड़ेगा और आप उन पर निर्भर हो जाएंगे.' 

तंज के साथ दीं शुभकामनाएं
अटल ने आगे कहा, 'अभी तो मैं नहीं जानता. पहले चर्चा हुई थी कि कुछ शर्तें लगाई जा रही हैं. फिर चर्चा हुई कि कॉर्डिनेटिंग कमेटी बनानी पड़ेगी. फ्लोर पर भी हम कॉर्डिनेशन करते हैं उसके बिना तो सदन नहीं चलता. आप सारा देश चलाने चाह रहे हैं. बड़ी अच्छी बात है. हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं. हम अपने देश की सेवा के कार्य में जुटे रहेंगे. हम संख्याबल के सामने सर झुकाते हैं. और आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो कार्य हमने अपने हाथ में लिया है वो जब तक राष्ट्र उद्देश्य पूरा नहीं कर लेंगे, तब तक विश्राम से नहीं बैठेंगे, तब तक आराम से नहीं बैठेंगे. अध्यक्ष महोदय मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति महोदय को देने जा रहा हूं. 

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