अतीक अहमद की हत्या में न्यायिक आयोग ने मीडिया के लिए क्यों दिए सुझाव, जानिए 'पुलिस की लापरवाही' पर क्या कहा?

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट शुक्रवार को यूपी विधानसभा में पेश की गई. इसमें यूपी पुलिस को क्लीन चिट देते हुए आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 'पूर्व नियोजित साजिश' या 'पुलिस की लापरवाही' की संभावना से इनकार किया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 1, 2024, 09:17 PM IST
  • 'पूर्व नियोजित साजिश नहीं'
  • मीडिया के लिए दिया सुझाव
अतीक अहमद की हत्या में न्यायिक आयोग ने मीडिया के लिए क्यों दिए सुझाव, जानिए 'पुलिस की लापरवाही' पर क्या कहा?

नई दिल्लीः गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में हत्या की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने 'पूर्व नियोजित साजिश' या 'पुलिस की लापरवाही' की संभावना से इनकार किया है. आयोग की रिपोर्ट शुक्रवार को मानसून सत्र के आखिरी दिन यूपी विधानसभा में पेश की गई. 

इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) अरविंद कुमार त्रिपाठी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आयोग को 15 अप्रैल 2023 को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की जांच करने का काम सौंपा गया था. 

पूर्व नियोजित साजिश नहींः आयोग

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला, 'प्रयागराज के शाहगंज थाना अंतर्गत उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में पुलिस हिरासत में लिए गए आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की तीन अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना को राज्य पुलिस की ओर से अंजाम दी गई पूर्व नियोजित साजिश का नतीजा नहीं कहा जा सकता है.'

आयोग ने पुलिस को क्लीन चिट देते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा, 'अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की घटना पुलिस की लापरवाही का नतीजा नहीं थी और न ही उनके लिए घटना को टालना संभव था.'

मीडिया के लिए दिया सुझाव

यह देखते हुए कि अतीक और उसके भाई की गोली मारकर हत्या करने वाले तीन हमलावरों ने खुद को पत्रकार बताया था, आयोग ने मीडिया को 'ऐसी घटनाओं को कवर करते समय कुछ संयम बरतने' का सुझाव भी दिया. आयोग ने सुझाव दिया है कि किसी भी मीडिया संस्थान को संबंधित अधिकारियों की ओर से विनियमित और नियंत्रित किया जाएगा. विशेषकर किसी सनसनीखेज (अपराधिक घटना) सार्वजनिक महत्व की घटना के मामले में, ताकि जांच एजेंसी के रास्ते में किसी भी बाधा से बचा जा सके और इसमें शामिल व्यक्तियों की सुरक्षा भी हो सके. 

आयोग ने सुझाव दिया कि 'मीडिया को किसी भी घटना/घटना का इस तरह से सीधा प्रसारण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जिससे आरोपी/पीड़ितों की गतिविधियों के साथ-साथ उक्त घटना के संबंध में पुलिस की गतिविधियों के बारे में योजना/सूचना मिल सके.' 

मीडिया को नहीं देनी चाहिए ये जानकारी

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'मीडिया को किसी भी अपराध की जांच के चरणों जैसे कि आरोपी को आपत्तिजनक वस्तुओं की बरामदगी के लिए ले जाने के बारे में जानकारी नहीं दी जानी चाहिए.' इसमें कहा गया है, "जब सार्वजनिक महत्व के किसी अपराध की जांच चल रही हो, तो मीडिया को कोई भी 'टॉक शो' आयोजित करने से बचना चाहिए, जिससे चल रही जांच में बाधा उत्पन्न हो सकती है."

अतीक और उसके भाई को प्रयागराज लाई थी पुलिस

बता दें कि अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ जो पहले से ही क्रमश: गुजरात की साबरमती जेल और बरेली जिला जेल में बंद थे, उन्हें पुलिस उमेश पाल की हत्या की पूछताछ के सिलसिले में प्रयागराज लाई थी. उमेश 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायक राजू पाल की हत्या का गवाह था. उमेश पाल की फरवरी 2023 में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

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