नई दिल्ली: Bal Thackeray Jayanti: 60 के दशक में एक कार्टूनिस्ट ने शिवसेना बनाई. तब यह कौन सोच सकता था कि एक दुबला-पतला आदमी बंबई का 'टाइगर' बन जाएगा. किसी को इसका अंदाजा नहीं था कि एक ऐसा लीडर तैयार हो रहा है, जिसकी राज्य में CM से भी ज्यादा चलने लगेगी. कार्टूनिस्ट बाल ठाकरे, जल्द ही बालासाहेब ठाकरे बन गए. शिवसेना की महाराष्ट्र में दखल इतनी बढ़ गई कि राज्य का सीएम भी बनता, तो बाल ठाकरे की सहमति लेनी पड़ती थी. बाल ठाकरे की इमेज पब्लिक में एक दबंग नेता के तौर पर बनी. लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं बाल ठाकरे को दो चीजों से काफी डर लगता था.
किताब में किया गया है दावा
पत्रकार सुजाता आनदंन ने अपनी किताब 'हिंदू हृदय सम्राट-हाउ द सेना चेंज्ड मुंबई फारएवर' में बाल ठाकरे पर काफी कुछ लिखा है. हालांकि, कई शिवसैनिक इस किताब में लिखी बातों से असहमति भी दर्ज करवाते हैं. पत्रकार सुजाता ने ही अपनी किताब में बाल ठाकरे की उन दो चीजों के बार में जिक्र किया, जिनसे वो डरा करते थे. इनमें पहला डर हमला होने का था. जबकि दूसरा डर जेल जाने का था.
'कहीं कम्युनिस्ट हमला न कर दें'
60 के दशक में शिवसेना का दौर शुरू हुई हुआ था. यह संगठन तब उभर रहा था. बाल ठाकरे इसका नेतृत्व किया करते थे. तब शिवसेना खूब हड़ताल किया करती थी. इस कारण से ट्रेड यूनियन से जुड़े कम्युनिस्टों से उनकी पटरी नहीं बैठती थी. दोनों संगठन कई मौकों पर एक-दूसरे के सामने हुए. दरअसल, ट्रेड यूनियन के नेताओं को लगता था कि बाल ठाकरे उन्हें कमजोर कर रहे हैं. इसलिए वो ठाकरे की खिलाफत किया करते थे. ठाकरे को अक्सर इस चीज का डर रहता था कि ट्रेड यूनियन के नेता उन पर हमला करवा सकते हैं. यह दावा 'हिंदू हृदय सम्राट-हाउ द सेना चेंज्ड मुंबई फारएवर' किताब में किया गया है.
जब जेल जाने से डरने लगे ठाकरे
साल 1969 में तत्कालीन डिप्टी पीएम मोरारजी देसाई मुंबई आए थे. इस दौरान बाल ठाकरे के शिव सैनिकों ने उप प्रधानमंत्री के काफिले पर हमला कर दिया. इस दौरान काफी तोड़फोड़ भी हुई. इस मामले में शिवसेना के नेता बाद बाल ठाकरे को गिरफ्तारी किया गे. उनकी कोर्ट में पेशी हुई और उन्हें तीन महीने के लिए जेल भेज दिया गया. ठाकरे का जेल का अनुभव अच्छा नहीं रहा. इसके बाद ठाकरे जेल जाने से डरने लगे.
अलग होता था ठाकरे का स्टैंड
बाल ठाकरे कई बार बहुत अलग स्टैंड लेते थे. सुजाता आनंदन लिखती हैं कि शरद पवार बाल ठाकरे के खास दोस्त थे, राजनीतिक तौर पर महाराष्ट्र की राजनीति में पवार उनके सबसे बड़े दुश्मन थे. बाल ठाकरे तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की भी खूब आलोचना करते थे. लेकिन फिर बाल ठाकरे ने इमरजेंसी का समर्थन किया और इंदिरा की तारीफ़ में खूफ कसीदे पढ़े.
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