नई दिल्लीः भारत में बन रहे उत्पाद दुनियाभर में अपनी पहचान बढ़ा रहे हैं. इसी दिशा में सरकार का मेक इन इंडिया कार्यक्रम भी चल रहा है जो भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देता है. भारत के सामानों की बेहतर गुणवत्ता रूस को भी पसंद आ रही है. यही वजह है कि रूसी सेना के लिए जूते भारत में बनते हैं. खास बात यह है कि ये जूते माइनस 40 डिग्री सेल्सियस जैसे मौसम में भी जवानों को ठंड से बचाते हैं.
2018 में रूसी सेना से हुआ था सौदा
दरअसल बिहार के हाजीपुर औद्योगिक क्षेत्र में एक ऐसी कंपनी काम कर रही है जिसके ज्यादातर जूते रूस और यूरोपीय देश में बेचे जाते हैं. इनमें सबसे ज्यादा जूते की सप्लाई रूस की सेना को होती है. इनमें सेफ्टी जूते शामिल हैं. साल 2018 में जूते की इस कंपनी का रूसी आर्मी के साथ सौदा हुआ था.
भारतीय बाजार में भी उतरने की तैयारी
यह कंपनी अब भारत के बाजार में भी सेफ्टी शूज उतारने की तैयारी में है. इसमें काम करने वाले 300 कर्मचारियों में से 70 प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं. कंपनी के मैनेजर मोहम्मद मजहर ने बताया कि हम सेफ्टी जूते बनाते हैं, जिनका निर्यात रूस में किया जाता है.
साल 2018 में यह कंपनी शुरू की गई थी, कंपनी का उद्देश्य रोजगार पैदा करना था और यहां सेफ्टी जूते बनाए जा रहे थे. बाद में कंपनी का सौदा रूस से हुआ और वहां जूते निर्यात किए जाने लगे. कई यूरोपीय देशों में भी जूते की सप्लाई होने की बात सामने आई है.
क्या है इन जूतों की खासियत?
जूते बहुत खास हैं बेहद हल्के होते हैं, जो फिसलन से बचाते हैं. माइनस 40 डिग्री सेल्सियस जैसे ठंडे मौसम का सामना भी इन जूतों को पहनकर किया जा सकता है. रूस की आर्मी को जो जूते सप्लाई किए जाते हैं वह सेफ्टी शूज बूट हैं. इन्हें एक खास मटेरियल से बनाया जाता है, इसकी खासियत यह है कि ये स्लिप नहीं करता है. इससे पहाड़ों पर और जंगलों में आर्मी को काफी सुविधा होती है. यही कारण है कि लगातार यूरोपियन देशों में भी जूते की डिमांड बढ़ती जा रही है.
उन्होंने बताया कि कंपनी में 70 प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं. नई नियुक्ति में भी ज्यादातर महिलाओं को तरजीह दी जा रही है. यहां काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं वैशाली और आसपास के इलाकों से आती हैं.
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