लखनऊः विधानसभा चुनाव बीत जाने के बाद उत्तर प्रदेश में एक बार फिर टोपी की सियासत गरमाने के आसार नजर आने लगे हैं. भाजपा ने अपने 42 वें स्थापना दिवस पर भगवा रंग की खास टोपी का इस्तेमाल किया. इसे बड़े से लेकर छोटे नेता न सिर्फ इसे पहन रहे हैं, बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से इसका खूब प्रचार भी कर रहे हैं.
विधानसभा चुनाव के बाद यह भाजपा नेताओं के सिर पर दिखी. यह टोपी आगे चलकर हर जगह सियासी समीकरण साधती नजर आएगी. अभी प्रधानमंत्री से लेकर नड्डा और यूपी में मुख्यमंत्री योगी, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के अलावा संगठन के महामंत्री सुनील बंसल भी भगवा टोपी के रंग में रंगे नजर आए.
टोपी को लेकर अखिलेश यादव का तंज
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने टोपी को लेकर भाजपा पर तंज कसा. कहा कि जो लोग सपा की लाल टोपी पर ना जाने क्या-क्या कहते थे, आज खुद टोपी पहने बैठे हैं. मुझे खुशी है उन्होंने लाल टोपी नहीं पहनी, आज कोई और टोपी पहन ली, सिद्धांत पर कैसे खड़े रहेंगे. खाली टोपी पहनने से कुछ नहीं होगा.
भाजपा प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं कि भाजपा और सपा की टोपी में बहुत अंतर है. उनकी टोपी आतंक को पनाह देती है. उनकी टोपी तलिबान, जिन्ना और पाकिस्तान की समर्थक हैं. सपा की टोपी अरजकता और समाज में नफरत फैलाने वाली है. जबकि भाजपा की टोपी राष्ट्रवाद, जन सेवा, शौर्य का प्रतीक है.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह टोपियां भगवा एजेंडे को धार देंगी, साथ ही विपक्ष भी इसे लेकर निशाना साधता नजर आएगा. क्योंकि, टोपी की सियासत को लेकर प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री सबने निशाना साधा है. विधानसभा चुनाव में तो प्रधानमंत्री मोदी ने इसे रेड सिग्नल करार दिया था.
प्रधानमंत्री ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले गोरखपुर में कहा था पूरा यूपी जानता है कि लाल टोपी वालों को लाल बत्ती से ही मतलब रहा है, आपकी दुख-तकलीफों से नहीं. लाल टोपी वालों को सत्ता चाहिए, घोटालों के लिए, अपनी तिजोरी भरने के लिए, अवैध कब्जों के लिए, माफियाओं को खुली छूट देने के लिए.
सपा की टोपी पर पीएम का हमला
उन्होंने कहा था कि लाल टोपी वालों को सरकार बनानी है, आतंकवादियों पर मेहरबानी दिखाने के लिए, आतंकियों को जेल से छुड़ाने के लिए और इसलिए, याद रखिए लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट हैं यानि खतरे की घंटी.
इसके जवाब में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी पलटवार किया था. उन्होंने कहा था कि लाल टोपी ही इस बार भाजपा को सत्ता से बाहर करेगी. कहा कि भाजपा के लिए रेड एलर्ट है महंगाई का; बेरोजगारी-बेकारी का; किसान-मजदूर की बदहाली का; हाथरस, लखीमपुर, महिला व युवा उत्पीड़न का; बर्बाद शिक्षा व्यापार व स्वास्थ्य का. लाल का इंकलाब होगा, बाइस में बदलाव होगा. हालांकि उनका यह नारा चल नहीं पाया, भाजपा फिर सत्ता में आ गयी.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि राजनीति में प्रतीकों का अपना महत्व है. टोपी किसी राजनीतिक दल के लिए एक संदेश देने का अच्छा माध्यम है. इसका सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी खूाब इस्तेमाल होता है. टोपी के अलावा पगड़ी, साफा पहचान से जुड़ा हुआ है. सपा के लोगों ने लाल टोपी पहनकर एक मुखर पहचान बनाई है. इसीलिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को इसे लेकर टिप्पणी करनी पड़ी.
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