Chaudhary Charan Singh: आजादी की लड़ाई में गए जेल, भारत के पीएम भी बने; पढ़ें- भारतीय किसानों के चैंपियन का कैसा रहा जीवन?

Chaudhary Charan Singh Biography: चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री रहे. इतिहासकारों और आम जनता द्वारा उन्हें भारत के किसानों के चैंपियन के रूप में जाना जाता है.उनके पिता मीर सिंह, स्वयं खेती करने वाले काश्तकार किसान थे.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Feb 9, 2024, 02:23 PM IST
  • भारत के पांचवें प्रधानमंत्री रहे चौधरी
  • भारत के किसानों के चैंपियन के रूप में मिली पहचान
Chaudhary Charan Singh: आजादी की लड़ाई में गए जेल, भारत के पीएम भी बने; पढ़ें- भारतीय किसानों के चैंपियन का कैसा रहा जीवन?

Chaudhary Charan Singh Biography: चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर को हुआ था और उनके सम्मान में हर साल राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था. 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक वह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री रहे. इतिहासकारों और आम जनता द्वारा उन्हें भारत के किसानों के चैंपियन के रूप में जाना जाता है.

उनके पिता मीर सिंह, स्वयं खेती करने वाले काश्तकार किसान थे और उनकी मां का नाम नेत्रा कौर था. वह पांच बच्चों में सबसे बड़े थे. स्थायी कृषि जीवन के लिए उपयुक्त भूमि की तलाश में उनका परिवार मेरठ जिले के एक गांव से दूसरे गांव में चला गया. 1922 में वे भदौला गांव में पहुंचे.

चौधरी चरण सिंह ने अपनी स्कूली शिक्षा जानी खुर्द गांव में की. उन्होंने 1919 में गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिकुलेशन पूरा किया. 1923 में, उन्होंने आगरा कॉलेज से BSc और 1925 में इतिहास में MA पूरा किया. उन्होंने कानून की भी पढ़ाई की. उन्होंने गाजियाबाद में सिविल कानून का अभ्यास किया. 1929 में, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर पूरी तरह से खुद को राजनीति में झौंक दिया.

चौधरी चरण सिंह के मूल्य
अपने पूरे जीवन में उन्होंने किसानों और उनके परिवारों के उत्थान के लिए काम किया. उनसे जुड़े मूल्य हैं कड़ी मेहनत, स्वतंत्रता और समझौता न करने वाली ईमानदारी. भारत की आजादी के लिए वह कई बार जेल गए.

1937 में, वह पहली बार छपरौली से यूपी विधान सभा के लिए चुने गए. उन्होंने 1946, 1952, 1962 और 1967 में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1946 में वे पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने. उन्होंने राजस्व, चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना आदि सहित कई विभागों में काम किया.

जून 1951 में उन्हें राज्य में कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया और न्याय और सूचना विभाग का प्रभार दिया गया.

1952 में, चौधरी चरण सिंह ने डॉ. संपूर्णानंद के मंत्रिमंडल में राजस्व और कृषि मंत्री का पद संभाला.

1959 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और उस समय उनके पास राजस्व एवं परिवहन विभाग का कार्यभार था.

1960 में, चरण सिंह गृह और कृषि मंत्री भी थे.

1962-63 तक, उन्होंने श्रीमती सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में कृषि और वन मंत्री के रूप में कार्य किया.

1965 में उन्होंने कृषि विभाग छोड़ दिया और 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का कार्यभार संभाला.

यूपी के दोबारा सीएम बने
कांग्रेस के विभाजन के बाद, चौधरी फरवरी 1970 में कांग्रेस पार्टी के समर्थन से दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने. 2 अक्टूबर 1970 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया.

उन्होंने उत्तर प्रदेश की सेवा की और एक कठोर कार्यपालक के रूप में ख्याति अर्जित की जो प्रशासन में अक्षमता, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करते थे.

यूपी में, वह भूमि सुधारों के मुख्य रखवाले थे और उन्होंने 1939 में डिपार्टमेंट रिडेम्पशन बिल के निर्माण और अंतिम रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई. इससे देनदारों को बड़ी राहत मिली.

उन्होंने पूरे राज्य में एक समान बनाने के लिए भूमि जोत की सीमा को कम करने के उद्देश्य से 1960 में भूमि होल्डिंग अधिनियम लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखते थे और उन्होंने लाखों किसानों के बीच विश्वास हासिल किया था.

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