क्या आप जानते हैं चीते की बड़ी कमजोरी, शिकार के लिए करता है संघर्ष

चीता आधा मिनट से ज्यादा अपनी यह रफ्तार कायम नहीं रख सकता. चीता तेज धावक है, न कि मैराथन दौड़ने वाला. उसे 30 सेकंड या उससे कम समय में शिकार को पकड़ना होता है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 17, 2022, 02:39 PM IST
  • चीते के शिकार की सफलता दर 40 से 50 फीसदी है
  • तेंदुए, लकड़बग्घे और जंगली कुत्ते उसका शिकार लूट लेते हैं
क्या आप जानते हैं चीते की बड़ी कमजोरी, शिकार के लिए करता है संघर्ष

नई दिल्ली: क्या आपको पता है कि चीता महज तीन सेकंड में 100 मीटर की दौड़ लगा सकता है जो अधिकतर कारों से कहीं तेज है, पर क्या आप इस ताकतवर जानवर की कमजोरी जानते हैं, चीता आधा मिनट से ज्यादा अपनी यह रफ्तार कायम नहीं रख सकता. दिल्ली के वन्यजीव पत्रकार और लेखक कबीर संजय का कहना है कि चीते को उसकी शानदार गति के लिए जाना जाता है लेकिन उसमें इस गति को ज्यादा देर तक बरकरार रखने की ताकत नहीं होती है. उन्होंने कहा, ‘‘चीता तेज धावक है, न कि मैराथन दौड़ने वाला. 

कम समय में पकड़ना होता है शिकार
चूंकि वह लंबे समय तक अपनी गति बरकरार नहीं रख सकता तो उसे 30 सेकंड या उससे कम समय में शिकार को पकड़ना होता है. अगर वह तेजी से शिकार नहीं कर पाता है तो वह हार मान लेता है और इस तरह उसके शिकार की सफलता दर 40 से 50 फीसदी है.’’

थक जाता है
कबीर ने कहा कि अगर चीता शिकार कर भी लेता है तो वह आम तौर पर थक जाता है और उसे कुछ समय तक आराम करना होता है. यही वजह है कि तेंदुए, लकड़बग्घे और जंगली कुत्ते जैसे मांसाहारी जीव अक्सर उसके शिकार को लूट लेते हैं. 

किताब में वर्णन
कबीर ने अपनी किताब ‘चीता : भारतीय जंगलों का गुम शहजादा’ में कहा है कि यहां तक कि गिद्ध भी उनके शिकार को छीन सकते हैं और चीते के पास ऐसी श्रेणी के अन्य जानवरों की तुलना में कम ताकत होती है. 

चीते के शरीर की खूबी
-चीते दुबले, लचीले शरीर वाले होते हैं और उनकी रीढ़ की हड्डी नरम होती है जो किसी गुच्छे या कुंडली की तरह फैल सकती है. 
-सिर छोटा होता है जो हवा के प्रतिरोध को कम करता है और लंबी, पतली टांगें होती है जो उन्हें बड़े-बड़े कदम बढ़ाने में मदद करती हैं. 
-चीते के पैर के तलवे सख्त और अन्य मांसाहारी जंतुओं की तुलना में कम गोल होते हैं. 
-उनके पैर के तलवे किसी टायर की तरह काम करते हैं जो उन्हें तेज, तीखे मोड़ों पर घर्षण प्रदान करते हैं
- चीते की लंबी मांसपेशीय पूंछ एक पतवार की तरह स्थिर करने का काम करती है और उनके शरीर के वजन को संतुलित रखती है. 
-शिकार की गतिविधि के अनुसार अपनी पूंछ घुमाते हुए उन्हें तेज गति से उनका पीछा करने के दौरान अचानक तीखे मोड़ लेने में मदद मिलती है.
-इस प्रजाति के शरीर पर आंख से लेकर मुंह तक विशिष्ट काली धारियां होती हैं और ये धारियां उन्हें सूर्य की चकाचौंध से बचाती है. 
चीता राइफल के स्कोप की तरह काम करता है, जिससे उन्हें लंबी दूरी पर भी अपने शिकार पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है. 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
दिल्ली चिड़ियाघर के रेंज अधिकारी सौरभ वशिष्ठ ने कहा कि चीते दिन के दौरान सक्रिय रहते हैं और वे सुबह तथा दोपहर में देर तक शिकार करते हैं. उन्होंने कहा कि चीता अकसर जंगली प्रजातियों का शिकार करता है और घरेलू जानवरों का शिकार करने से बचता है, हालांकि बीमार या घायल और बूढ़ा या युवा या गैर अनुभवी चीता घरेलू मवेशियों को भी शिकार बना सकता है. 

उन्होंने कहा कि अकेला वयस्क चीता हर दो से पांच दिन में शिकार करता है और उसे हर तीन से चार दिन में पानी पीने की जरूरत होती है. वशिष्ठ ने बताया कि मादा चीता एकांत जीवन व्यतीत करती हैं और वे केवल संभोग के लिए जोड़ी बनाती हैं तथा फिर अपने शावकों को पालते हुए उनके साथ रहती हैं. नर चीता आम तौर पर अकेला होता है लेकिन उसके भाई अकसर साथ रहते हैं और साथ मिलकर शिकार करते हैं. चीता अपना ज्यादातर वक्त सोते हुए बिताता है और दिन में अत्यधिक गर्मी के दौरान बहुत कम सक्रिय रहता है. 

शेर, बाघ, तेंदुए और जगुआर के मुकाबले चीते दहाड़ते नहीं हैं. मादा चीते की गर्भावस्था महज 93 दिन की होती है और वह छह शावकों को जन्म दे सकती हैं. वशिष्ठ ने कहा कि जंगल में चीते का औसत जीवन काल 10-12 वर्ष का होता है और पिंजरे में वे 17 से 20 साल तक रह सकते हैं. गौरतलब है कि भारत में सात दशक बाद चीतों ने फिर से दस्तक दी है और विशेष विमान से नामीबिया से लाए गए आठ चीते अब मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान की शोभा बढ़ाएंगे. शावकों की मृत्यु दर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य जैसे संरक्षित क्षेत्रों में अधिक है जहां गैर संरक्षित क्षेत्रों के मुकाबले बड़े शिकारियों की निकटता अधिक होती है. 

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