बार-बार अनपढ़ों जैसी बातें क्यों करते हैं कांग्रेस के `युवराज` राहुल गांधी?
राहुल गांधी पर एक कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है, `खाली दिमाग शैतान का घर होता है` ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आपको इस खास रिपोर्ट को पढ़कर खुद-ब-खुद समझ आ जाएगा..
नई दिल्ली: वो कहते हैं न "खाली दिमाग शैतान का घर होता है" बार-बार कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी अपनी बोली और हरकतों से इस कहावत को सही साबित करने का काम कर देते हैं. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं उसे समझने के लिए आपको ये बताते हैं कि राहुल गांधी ने कौन सी बात अनपढ़ों जैसी कर दी है?
फिर बच्चों जैसी बात की राहुल गांधी ने
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और गांधी परिवार के युवराज राहुल गांधी अपनी बचकानी हरकतों और बातों के लिए काफी मशहूर हैं. इस बीच जनाब 'युवराज' ने फिर से ऐसी बचकानी बातें की हैं, जिसके चलते सियासी खेमे में विवाद का खड़ा होना लाज़मी है. दरअसल, राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करके कुछ सवाल पूछे हैं.
इस वीडियों में राहुल गांधी कहते नजर आ रहे हैं कि "भाईयों-बहनों चीन ने हिन्दुस्तान के शस्त्रहीन सैनिकों की हत्या करके एक बहुत बड़ा अपराध किया है. मैं पूछना चाहता हूं इन वीरों को बिना हथियार खतरे की ओर किसने भेजा और क्यों भेजा? कौन जिम्मेदार है?"
VIDEO देखें..
राहुल गांधी का एक-एक सवाल उनके ज्ञान के स्तर को दर्शाने का काम करता है. हर कोई यही सोचेगा कि भला राहुल गांधी ने इस 18 सेकेंड के वीडियो में ऐसा क्या बोल दिया जिससे उनके ज्ञान के स्तर का अंदाजा लगाया जा सकता है.
आपको इन 3 सवालों और उनके जवाब के माध्यम से समझाने हैं कि राहुल गांधी के लिए "खाली दिमाग शैतान का घर होता है" कहावत कैसे सटीक बैठती है?
सवाल नंबर 1). राहुल गांधी को ये कैसे पता चला कि जवान निहत्थे थे?
राहुल गांधी को ये लगता है कि LAC पर हिन्दुस्तानी सैनिकों के पास हथियार नहीं होता है. यानी वो निहत्थे होते हैं. राहुल गांधी ने साफ-साफ शब्दों में इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि सीमा पर देश के वीरों को बिना हथियार खतरे की ओर किसने भेजा? अब आप ये समझिए कि राहुल गांधी को ये कैसे पता चला कि भारत के जवानों के पास कोई हथियार नहीं था. लेकिन, राहुल गांधी को इस बात की ज़रा भी जानकारी नहीं होगी कि LAC पर सेना के जवान हथियारों का इस्तेमाल क्यों नहीं करते हैं.
सवाल नंबर 2). क्या राहुल गांधी को पता है LAC पर क्यों नहीं चलती गोली?
राहुल गांधी की अज्ञानता का सबसे बड़ा परिचायक उनका ये 18 सेकेंड का वीडियो है. क्योंकि राहुल गांधी के हिसाब से जब चीन और भारत की सेना के बीच झड़प हो रही थी, उस वक्त भारतीय सैनिकों को हथियारों का इस्तेमाल करके गोलीबारी, बमबाजी और तोप-मोर्टार दागने चाहिए थे. चलिए समझ में आता है कि राहुल गांधी को अपनी राजनीति दुकान चमकानी है तो वो ऐसी बातों पर जोर जरूर देंगे. लेकिन कांग्रेस के युवराज साल 1993 में हुए समझौते के बारे में यदि थोड़ा भी जानते तो ऐसी अनपढ़ों जैसी बाते नहीं करते.
क्या आप जानते हैं कि आखिर LAC पर क्यों नहीं होती गोलीबारी?
यहां राहुल गांधी के अज्ञानता के स्तर को समझना जरूरी हो जाता है. कांग्रेस के युवराज को अपनी पार्टी की सरकार में हुए समझौते के बारे में भी तनिक जानकारी नहीं है. यदि उन्हें साल 1993 में हुए उस समझौते के बारे में पता होता जो चीन और भारत के बीच हुआ था, तो जनाब राहुल गांधी ऐसी बेवकूफी वाली बातें करने से शायद बचते.
1993 में भारत-चीन के बीच हुए समझौते पर एक नजर
यहां आपको साल 1993 में हुए भारत-चीन समझौते के बारे में अवश्य जानना चाहिए. उस वक्त के भारतीय प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने 93 में अपनी चीन यात्रा के दौरान एक समझौता किया था. जो मुख्य रूप से LAC पर शांति बनाए रखने के लिए हुआ था. इन्हीं में से एक समझौता ये था कि LAC पर हथियारों का इस्तेमाल ना किया जाए. समझौते में एक बिन्दु ये भी था कि LAC पर दोनों ही पक्ष से कम से कम सैन्य बल की तैनाती रखी जाएगी. अब भला कांग्रेस के युवराज को ये कौन समझाए कि भारत देश अपने वादों से मुकरता नहीं है. हिन्दुस्तान के लिए सभ्यता, परंपरा, अखंडता, संस्कृति और संप्रभुता ही उसका गहना है. ऐसे में ये सभी बातें करके राहुल जानी अपनी अज्ञानता का परिचय पूरी दुनिया को दे रहे हैं.
सवाल नंबर 3). क्या राहुल गांधी को सत्ता से बाहर रहने का सदमा लगा है?
राहुल गांधी ने अपने सवाल में ये भी पूछा है कि बिना हथियार के जवानों को किसने भेजा और क्यों भेजा? कौन जिम्मेदार है? अब ऐसा लगने लगा है कि राहुल गांधी को हर बात में सियासी दुकान सजाने की जल्दबाजी रहती है. इसीलिए तो बिना कुछ जाने, बिना कुछ सोचे-समझे सियासी अखाड़े में कांग्रेस के युवराज कूद पड़े.
राहुल गांधी की इच्छा यही है कि इस मुद्दे पर भारत सरकार को वो जमकर घेरे. निश्चित तौर पर विपक्ष का ये काम ही होता है, उन्हें ऐसा करना भी चाहिए. लेकिन राहुल बाबा को तथ्य पर आधारित विरोध करना चाहिए. हर बात वो अपनी अज्ञानता का परिचय खुल्लम खुल्ला देने लगते हैं.
राफेल-राफेल चीखकर कराई थी जगहंसाई
ये पहली बार है, जब राहुल गांधी अपनी छाती पीट-पीट कर बिना मु्द्दे की बातें करते हैं. उनके कई आरोपों का कोई आधार नहीं होता है. जिसमें सबसे बड़ा उदाहरण राफेल डील है. जब कभी तीस हजार करोड़ का घोटाला बोलकर राहुल सियासी ड्रामा करते थे, तो कभी तीन हजार करोड़ रूपये की बात करते थे. कभी डील के माध्यम से फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया लेकिन राहुल गांधी को इस बात की जानकारी ही नहीं थी, कि राफेल डील ToT थी या ऑफसेट डील..
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कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के ज्ञान के स्तर का बखान कोई भी करता है, क्योंकि वो हर बार वो खुद ही अपनी अज्ञानता का परिचय देकर ढिंढोरा पीट देते हैं. कभी संसद में आंख मारने की हरकत हो, या अचानक पीएम मोदी को गले लगाना. सैकड़ों ऐसे मौके हैं जब राहुल गांधी ऐसी हरकत कर ही देते हैं, लेकिन इतने सब के बाद भी राहुल गांधी को अपना मजाक बनाने में मजा आता है. तभी तो वो ऐसी बातें करते हैं.
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