नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, जिनमें जी-23 के कुछ नेता भी शामिल हैं, पंजाब के मुख्यमंत्री पद से अमरिंदर सिंह को हटाए जाने के तरीके से नाखुश हैं. उधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) लोकेश शर्मा ने शनिवार रात इस्तीफा दे दिया. उनके एक ट्वीट को पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की परोक्ष आलोचना के रूप में देखा गया.
कैप्टन के साथ जताई सहानुभूति
जी-23 के सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने तीन हैंगमैन भेजे - एक पूर्व मुख्यमंत्री, जो दो सीटों पर हार गया, एक दिल्ली का नेता, जो लगातार चुनावों में शून्य स्कोर कर रहा है और एक व्यक्ति, जो मुख्यमंत्री की (अमरिंदर सिंह, जिन्हें 117 की विधानसभा में 80 सीटें मिलीं) के कद से मेल नहीं खाता.
असंतुष्ट नेताओं में से अधिकतर ने निवर्तमान मुख्यमंत्री से संपर्क किया और उनके साथ एकजुटता व्यक्त की, लेकिन साथ ही सार्वजनिक रूप से बोलने से खुद को रोक लिया.
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कैप्टन के विरोध की नहीं थी उम्मीद
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह के विरोध की उम्मीद नहीं की थी और सोचा था कि वह विधायक दल की बैठक (सीएलपी) में शामिल होंगे और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की स्क्रिप्ट का पालन करेंगे, लेकिन उन्होंने सीएलपी से पहले इस्तीफा दे दिया और बैठक में शामिल नहीं हुए.
ओएसडी शर्मा ने दी सफाई
शर्मा ने अमरिंदर सिंह के इस्तीफा देने के बाद ट्वीट किया था, 'मजबूत को मजबूर, मामूली को मगरूर किया जाए. बाड़ ही खेत को खाए, उस फसल को कौन बचाए!' त्यागपत्र में ओएसडी ने कहा कि वह 2010 से ट्विटर पर सक्रिय हैं और उन्होंने कभी पार्टी लाइन से परे ट्वीट नहीं किया है. गहलोत द्वारा ओएसडी की जिम्मेदारी दिए जाने के बाद उन्होंने कभी कोई राजनीतिक ट्वीट नहीं किया.
उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके ट्वीट से पार्टी आलाकमान या राज्य सरकार किसी भी तरह आहत हुए हों तो वह माफी मांगते हैं.
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