हादसा या लापरवाही... 2 साल में दिल्ली के 66 अस्पतालों में लगी आग, आखिर क्या है वजह?

Delhi Hospital Fire: आंकड़े कहते हैं कि बीते दो साल में दिल्ली के अस्पतालों में आग लगने के 66 मामले सामने आ चुके हैं. इसने पीछे कई कारण हैं. हाल ही में एक बेबी केयर सेंटर में आग लगी थी.

Edited by - Ronak Bhaira | Last Updated : May 27, 2024, 12:45 PM IST
  • दो साल में 66 घटनाएं सामने आईं
  • पिछले साल 36 मामले दर्ज हुए
हादसा या लापरवाही... 2 साल में दिल्ली के 66 अस्पतालों में लगी आग, आखिर क्या है वजह?

नई दिल्ली: Delhi Hospital Fire: दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 7 नवजात बच्चों की मौत हो गई है. इस मामले ने सरकार और प्रशासन की एक बार फिर कलई खोल दी है. यह इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है. बीते दो साल में ऐसी 66 घटनाएं सामने आ चुकी हैं.

दो साल में 66 मामले सामने आए
आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में साल 2022 में अस्पतालों में आग लगने के 30 मामले सामने आए, साल 2023 में करीब 36 मामले दर्ज किए गए. इस साल भी ये सिलसिला थमा नहीं है. फरवरी में ही दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में आग लगने का मामला सामने आया था. इस हादसे में करीब 50 लोगों को बचाया गया था. 
 
इमरजेंसी गेट का न होना
आग लगने की घटनाओं के पीछे की वजह अस्पतालों की लापरवाही है. दिल्ली के कई ऐसे अस्पताल हैं, जिनमें इमरजेंसी एग्जिट गेट नहीं बनाया गया है. विवेक विहार के केयर न्यू बोर्न एंड चाइल्ड हॉस्पिटल में भी इमरजेंसी गेट नहीं था. न ही अस्पताल के पास अग्निशमन सेवा NOC था. 

क्या होता है अग्निशमन सेवा का NOC?
अग्निशमन सेवा द्वारा एक NOC यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. यदि इमारत में आग से जुड़ी किसी भी दुर्घटना की संभावना होती है तो उस अस्पताल के पास हादसे से बचने के लिए पर्याप्त उपकरण हैं या नहीं, यही जांचा जाता है. यदि उपकरण उपलब्ध होते हैं तो NOC जारी कर दी जाती है. 

शॉर्ट सर्किट होता है
इसके अलावा, अस्पतालों में शोर्ट सर्किट की घटनाएं भी सामने आती है. कई मशीनों पर बिजली लोड अधिक हो जाता है, इससे शॉर्ट सर्किट हो जाता है. दिल्ली में कई ऐसे हॉस्पिटल हैं जो बिजली के सुरक्षा मानकों को नहीं मान रहे हैं. 

कम्पार्टमेंटेशन इमारतें नहीं हैं
दमकल विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि किसी भी मंजिल को अलग-अलग हिस्से में बांटा जाता है, इसे कम्पार्टमेंटेशन कहा जाता है. ताकि आग लगने पर फंसे हुए लोगों को 5 से 6 मिनट के भीतर बाहर निकाला जा सके. लेकिन दिल्ली के हर अस्पताल में कम्पार्टमेंटेशन नहीं है. 

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